स्काइमेट के अनुमान सही साबित हुये और मध्य प्रदेश और इसके आसपास के भागों पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों तथा मध्य प्रदेश के कई भागों में गरज के साथ बारिश दर्ज की गई। बारिश की तीव्रता हल्की से मध्यम रही जबकि एक-दो जगहों पर भारी वर्षा भी हुई है।
उदाहरण के तौर पर बुधवार की सुबह 8:30 बजे से बीते 24 घंटों के दौरान आगरा में 25 मिलीमीटर जबकि इलाहाबाद में 20 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। अलीगढ़ में भी 15 मिलीमीटर वर्षा हुई है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में 33 मिमी, सतना में 37 मिमी, बेतुल में 22 मिमी, सागर में 16 मिमी और ग्वालियर में 8 मिमी वर्षा हुई। अक्टूबर के महीने में ऐसी बारिश की अपेक्षा आमतौर पर नहीं होती है।
उत्तर के मैदानी भागों में मॉनसून की वापसी के बाद और सर्दियों में होने वाली बारिश पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से होती है। लेकिन कभी-कभी प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ राजस्थान या मध्य प्रदेश के ऊपर एक सिस्टम उत्प्रेरित करता है, जो मध्य भारत के भागों को प्रभावित करता है।
इस समय चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पूर्वी दिशा में आगे बढ़ते हुये पूर्वी उत्तर प्रदेश और उससे सटे मध्य प्रदेश के ऊपर पहुँच गया है। उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पश्चिमी जिलों में अगले 24 घंटों के दौरान बारिश होने की संभावना है। इस दौरान उत्तरी छत्तीसगढ़ और झारखंड के भागों में भी वर्षा दर्ज किए जाने के आसार हैं।
हालांकि 31 अक्टूबर तक इस मौसमी सिस्टम का प्रभाव खत्म हो जाएगा। हालांकि इसके निष्प्रभावी होने के बाद भी इन भागों में आंशिक बादल छाए रहेंगे और कुछ स्थानों पर हल्की बारिश कुछ समय के लिए जारी रह सकती है।
इस सिस्टम से मध्य प्रदेश के कई भागों में बुधवार को बारिश के साथ ओले भी पड़े हैं। राज्य के दतिया, दमोह, शिवपुरी और टीकमगढ़ जैसे जिलों में अगले 24 घंटों के दौरान ओलावृष्टि के आसार बने हुये हैं। प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीजन में लम्बवत रूप में विकसित होने वाले बादलों से ओलावृष्टि की संभावना रहती है। मार्च, अप्रैल और अक्टूबर महीनों में ओले पड़ने की घटनाएँ प्रायः देखी जाती हैं।
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