पश्चिम बंगाल और ओडिशा के राज्यों में आमतौर पर 'काल बैसाखी' गतिविधियों के कारण मार्च महीने के दौरान बारिश होती है। लेकिन, इस बार ओडिशा के तटीय भागों पर कम अंतराल के भीतर बने कोन्फ़्लुएन्स जोन के कारण मुख्य रूप से गंगीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा के उत्तरी भागों में ज्यादा तीव्रता के साथ बारिश हुई है।
इस समय पश्चिम बंगाल में सामान्य से 85% अधिक बारिश दर्ज हुई है। 22 मार्च तक इन क्षेत्रों में सामान्य (15.9 मिमी) के मुकाबले 22.5 मिमी ज्यादा बारिश हुई है। जबकि, ओडिशा में बारिश का स्तर सामान्य से 32% ऊपर है, जहां राज्य में सामान्य (18.3 मिमी) के मुकाबले 24.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
पश्चिम बंगाल के आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से दक्षिण 24 परगना, उत्तरी 24 परगना, कोलकाता और पश्चिम मिदनापुर जैसे दक्षिणी जिलों में लगभग 200% बारिश दर्ज की गई है। केवल दक्षिणी भाग ही नहीं, बल्कि जलपाईगुड़ी और कूच बिहार में भी इस दौरान अधिक वर्षा हुई है।
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कोलकाता में एक महीने में बारिश की सामान्य औसतन बारिश अगर देखा जाए तो यह 35.2% के साथ केवल दो दिन होती है। हालांकि, इस बार कोलकाता में पहले ही 73.1 मिमी बारिश हो चुकी है और दिनों की आवृत्ति पाँच दिनों तक चली गई है।
यह समय इन क्षेत्रों के लिए बहुत अनुकूल है। क्यूंकि, सब्जियों की खेती के लिए अभी अनुकूल स्थिति है।जबकि, फरवरी के अंत में हुए बारिश ने आलू की सब्जी के लिए तबाही मचाई। जिसकी वजह से उत्पादन लगभग 20-30% कम हो गया।
वर्तमान में, पश्चिम बंगाल के दक्षिणी भागों से लेकर ओडिशा के उत्तरी तटीय भागों तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है। इसलिए, दोपहर या शाम तक आसमान में बादल बनेंगे। जिसके कारण दक्षिण परगना, पूर्व और पश्चिम मिदनापुर, बालासोर, बारीपदा, क्योंझरगढ़, भद्रक और भुवनेश्वर में गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है।
कल, यानि 24 मार्च को, शुष्क मौसम देखा जाएगा। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह मौसम प्रणाली उत्तर के राज्यों के अधिकांश हिस्सों को कवर करेगी। सुबह के तापमान में गिरावट होने की संभावना है जबकि दिन का तापमान कम नमी जैसी परिस्थितियों के साथ बना रहेगा । 26 मार्च तक यह सिस्टम दक्षिण बंगाल और उत्तर ओडिशा को प्रभावित कर सकती है।
Image credit: New Indian Express
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