भारत में सर्दियों के खत्म होने के बाद मौसम लगातार गर्म होने लगता है और जब लंबे समय तक बारिश ना हो तब अप्रैल और मई के महीनों में देश के कई इलाके भीषण गर्मी की चपेट में आ जाते हैं। कुछ जगहों पर लू का शिकंजा भी कस जाता है। ऐसा ही हाल देश के मध्य भागों में लंबे समय से देखने को मिल रहा है। जल्द इससे राहत की भी उम्मीद नहीं है।
हालांकि इस बार प्री-मॉनसून सीजन शुरू होने के समय ही स्काईमेट ने अनुमान लगाया था कि गर्मी 2019 में भी अपने चरम पर पहुंचेगी, लेकिन देश के ज़्यादातर भागों में लू का प्रकोप लंबे समय के लिए देखने को नहीं मिलेगा। यह अनुमान अब तक उत्तर भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों के लिए सहित साबित हुआ है। इसका कारण है एक के बाद एक मौसमी सिस्टमों का विकसित होते रहना। जिससे प्री-मॉनसून वर्षा होती रही और 3 से 5 दिनों का लंबा गर्मी का दौर कुछ समय के लिए समाप्त होता रहा है।
हालांकि उत्तर और दक्षिण भारत के मुकाबले मध्य भारत के लोगों को अपेक्षाकृत अधिक गर्मी का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, इससे सटे दक्षिणी राजस्थान और तेलंगाना तथा उड़ीसा के कई इलाके शामिल हैं। इसकी वजह यह है कि मध्य भारत के भागों पर अधिक मौसमी सिस्टम विकसित नहीं हुए जिससे महाराष्ट्र में परभणी, नागपुर, अकोला, वर्धा, ब्रह्मपुरी, अमरावती, तेलंगाना में अदिलाबाद, अमरावती, रामागुंडम, मध्य प्रदेश में खरगोन और नौगांव, उत्तर प्रदेश में बांदा और ओड़ीशा के कुछ इलाकों में तापमान काफी ऊपर चल रहा है।
कैसा रहेगा मध्य भारत में आने वाले दिनों में मौसम
मध्य भारत के इन इलाकों में बीते 3 दिनों से कई स्थानों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रिकॉर्ड किया जा रहा है। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्य भारत के इलाकों पर एक तरफ प्रचंड धूप का असर है तो दूसरी ओर राजस्थान की तरफ से गर्म और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएं लू का प्रकोप लेकर आ रही हैं। चिंता की बात यह है कि अगले चार-पांच दिनों तक दक्षिणी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, उड़ीसा के कुछ भागों, महाराष्ट्र के विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, इससे सटे गुजरात के पूर्वी हिस्सों और दक्षिणी राजस्थान में गर्मी से राहत की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है।
मॉनसून के इंतज़ार के बीच लू में कमी नहीं
मई का महीना अपने आखिरी चरण में है और यह समय होता है जब केरल में मॉनसून के आगमन से पहले दक्षिण भारत का मौसम बदलने लगता है और दक्षिण-पश्चिमी तथा दक्षिण- पूर्वी आर्द्र हवाएं मध्य भारत को भी प्रभावित करने लगती हैं, जिससे आमतौर पर 25 मई के बाद मध्य भारत के भागों में लू की धीरे-धीरे वापसी होने लगती है।
यही नहीं कुछ स्थानों पर प्री-मॉनसून वर्षा भी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है क्योंकि मॉनसून के आगमन में लगभग 3 से 4 दिन की देरी हमें प्रतीत हो रही है जिसका अनुमान स्काईमेट ने पहले ही जारी किया है। स्काइमेट के अनुसार 1 जून की बजाए 4 जून को मॉनसून केरल में दस्तक दे सकता है।
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