देश में मॉनसून बारिश की औपचारिक अवधि (1 जून से 30 सितंबर) समाप्त हो गई है। हालांकि अरब सागर के दक्षिणी भागों और बंगाल की खाड़ी में बने दो चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश की गतिविधियां अगले कुछ दिनों तक बनी रहने की संभावना है।
देश भर में सामान्य से 14% कम मॉनसूनी वर्षा दर्ज की गई है। ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से गुजरात तक के भागों में समग्र बारिश का आंकड़ा देखें तो मध्य भारत में वर्षा में 16% की कमी रही।
मॉनसून ने सबसे अधिक बेरुखी मध्य भारत में मराठवाड़ा क्षेत्र पर दिखाई। मराठवाड़ा में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में औसतन 682.9 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन इस बार 40% कम 412.4 मिमी वर्षा हुई। मराठवाड़ा के जिलों में इस मॉनसून सीज़न में कई बार लंबे शुष्क मौसम का दौर रहा। जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई।
8 जिलों के इस मराठवाड़ा क्षेत्र में औरंगाबाद को छोडकर बाकी 7 जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई है। परभणी में 52% कम, लातूर में 49% कम, बीड में 47% कम, नादेड़ में 38% कम, हिंगोली में 31% कम और जालना में 22% कम बारिश ने इस क्षेत्र के किसानों की नींदें उड़ा दी हैं।
ज्वार, मक्का कपास और सोयाबीन मराठवाड़ा क्षेत्र में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। कम बारिश से सबसे ज़्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है। स्काइमेट के कृषि-मौसम विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन फसल की वानस्पतिक वृद्धि के दौरान और फूल निकलने तथा दाने बनने के समय क्षेत्र में 2 बार लंबे शुष्क मौसम का दौर चला जिसने सोयाबीन फसल की वृद्धि को बुरी तरह से प्रभावित किया। पौधों का समुचित विकास ना होने और फली बनने के दौरान समुचित मात्रा में नमीं ना मिल पाने के कारण सोयाबीन की उत्पादकता पर काफी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।
दूसरी तरफ ज्वार और मक्का ऐसी फसलें हैं जिन्हें अपेक्षाकृत कम पानी की ज़रूरत होती है। कपास की परिपक्वता में अभी समय है इसलिए संभावना है कि इस नकदी फसल की उत्पादकता पर कमजोर मॉनसून का असर उतना खराब नहीं होगा।
संवेदनशील कलाकारों की किसानों के लिए मुहिम
इस बीच समाचार माध्यमों की खबरों पर भरोसा करें तो अभिनेता नाना पाटेकर मराठवाडा के किसानों की मदद के लिए एक मुहिम चला रहे हैं। उन्होंने अब तक लगभग साढ़े 6 करोड़ रूपये किसानों की सहायता के लिए चंदे से इकठ्ठा किए हैं। फिल्मी दुनिया में खिलाड़ी के नाम से मशहूर अक्षय कुमार भी खबरों से दूर लोगों का पेट पालने वाले किसानों की सहायता के लिए लगभग 100 गाँवों को गोद लेने वाले हैं।
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