राजस्थान का भिवाड़ी शहर भारत में प्रमुख प्रदूषित शहरों में शुमार है और इसकी वजह हैं भिवाड़ी में स्थापित उद्योग-धंधे, जिनसे निकलने वाला धुआं बेहद खतरनाक श्रेणी में गिना जाता है। हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है, जिसमें दिवाली के दिन भिवाड़ी ने देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों का रिकॉर्ड तोड़ दिया और कोलकाता तथा आगरा को पीछे छोड़ते हुए पहले नंबर पर पहुंच गया।
वर्ष 2016 में दीपावली पर आगरा भारत का सबसे प्रदूषित शहर था जबकि 2017 में राजस्थान के अलवर जिले का भिवाड़ी शहर सबसे प्रदूषित शहर बना। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में भिवाड़ी के बाद दूसरे नंबर पर कोलकाता और तीसरे नंबर पर आगरा हैं। आमतौर पर प्रदूषण के मामले में सुर्खियों में राष्ट्रीय दिल्ली रहती है, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों की बिक्री पर लगे बैन के चलते दिल्ली में हवा अपेक्षाकृत साफ रही जो दिल्ली वालों के लिए अच्छी खबर हो सकती है।
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भिवाड़ी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर का हिस्सा बन गया है जिससे इसका प्रदूषित होना दिल्ली-एनसीआर के लिए भी चिंता का विषय है। भिवाड़ी में उद्योगों को ईंधन आपूर्ति करने के लिए नेचुरल गैस पाइपलाइन है। इससे पहले भी बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी ने भिवाड़ी में कई उद्योगों को बंद करने के आदेश दिए थे बावजूद इसके, इस बार प्रदूषण में बेतहासा वृद्धि खतरे की घंटी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 अक्टूबर को दीपावली के दिन रिकॉर्ड किए गए जो आंकड़े जारी किए हैं उनमें भिवाड़ी में प्रति घन मीटर प्रदूषण कणों की मात्रा 425 माइक्रोग्राम थी। कोलकाता में 358 माइक्रोग्राम और आगरा में 332 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर प्रदूषण के कण थे। भीषण प्रदूषण के चलते दीपावली के दिन से अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या व्यापक रूप में बढ़ी है। प्रदूषण के कारणों पर गौर करें तो उद्योगों से निकलने वाला धुआँ प्रमुख कारण है। दीपावली पर आतिशबाजी ने भी स्थिति खराब की है।
मौसम के चलते भी प्रदूषण बढ़ा है। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों तक दक्षिण-पूर्वी हवाएं बनी हुई है जिसके चलते प्रदूषण के कण ऊपर नहीं जा रहे हैं और हवा में निचले स्तर पर बने हुए हैं। प्रदूषण के कण सीधे तौर पर खुली आंखों ना सिर्फ दिखाई दे रहे हैं बल्कि साँस के जरिए फेफड़ों में प्रवेश कर लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
Image credit: Medical Daily
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