उत्तर प्रदेश में इस बार मॉनसून वर्षा में व्यापक असंतुलन देखने को मिला है। राज्य में ना सिर्फ जून सूखा बीता बल्कि जुलाई के पहले पखवाड़े में भी राज्य के अधिकतर इलाकों में मौसम सूखा रहा। जुलाई के आखिरी दिनों में मॉनसून मेहरबान हुआ और राज्य के कई इलाकों में भारी वर्षा हुई जिससे कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। उत्तर प्रदेश में मॉनसून के आगमन में इस बार लगभग 10 से 15 दिन की देरी हुई।
पिछले कुछ दिनों से राज्य के मध्य, पूर्वी और पश्चिमी जिलों में अच्छी बारिश के चलते बारिश के आंकड़ों में सुधार आया है। 31 जुलाई तक के आंकड़ों को अगर देखें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक हुई है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी भी सामान्य से 19% की कमी बनी हुई है। जुलाई के मध्य तक राज्य के दोनों हिस्सों में सामान्य की आधी यानी लगभग 50% वर्षा ही रिकॉर्ड की गई थी।
पिछले 24 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में भारी बारिश हुई, जिसमें बरेली में 103 मिलीमीटर की मूसलाधार बारिश रिकॉर्ड की गई। लखनऊ में 95 मिमी, फुर्सतगंज में 77 मिमी, इलाहाबाद में 41 मिमी, हरदोई में 37 मिमी, सुल्तानपुर में 35,कानपुर में 26,बहराइच में 21,बांदा में 19,हमीरपुर में 19,आगरा में 18,झांसी में 17 और गोरखपुर में 3 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
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इससे पहले भी बरेली की तरह ही कुछ अन्य भागों में भी 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा होती रही यानि। 27 जुलाई को मेरठ में 24 घंटों की अवधि में 226 मिलीमीटर की भीषण बारिश हुई थी। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस समय भी एक निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के मध्य भागों पर बना हुआ है। इसके अलावा मॉनसून की अक्षीय रेखा पंजाब से उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार तक सक्रिय है। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
इस मौसमी सिस्टमों के चलते उत्तर प्रदेश के मध्य और पूर्वी जिलों में अगले 24 से 48 घंटों तक मध्यम से भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में अब बारिश में कमी आ जाएगी। अगले 48 घंटों के बाद समूचे उत्तर प्रदेश में बारिश कम हो जाएगी क्योंकि मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुंच जाएगी।
Image credit: Amar Ujala
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