चार महीनों के मॉनसून के सफर में तीन महीनों का मुख्य वर्षा वाला दौर बीत गया है। अब कुछ इलाके ही रह गए हैं जहां अच्छी मॉनसून वर्षा की उम्मीद की जा सकती है। अब तक के जून-जुलाई-अगस्त में मॉनसून के प्रदर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण करें तो जून सबसे बेहतर रहा है। जुलाई संतुलित रही जबकि अगस्त ने निराश किया। जून में उत्तर भारत में सामान्य से 52 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। इसके अलावा पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में भी सामान्य से ऊपर वर्षा दर्ज की गई। जून में देश भर में सामान्य से 4 फीसदी अधिक वर्षा हुई थी।
जुलाई में भी बारिश का आंकड़ा सामान्य से 2 प्रतिशत ऊपर ही रहा। यानि बारिश में गिरावट जुलाई से ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन संतोषजनक वर्षा देखने को मिली। दक्षिण भारत में बारिश ने बड़े पैमाने पर निराश किया क्योंकि जहां जून 8 प्रतिशत अधिक वर्षा के साथ सम्पन्न हुआ था वही जुलाई में आंकड़ा घटकर सामान्य से 17 फीसदी नीचे पहुँच गया। उत्तर-पश्चिम भारत में भी बारिश कम हुई इसी वजह से जून में जहां सामान्य से 52 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई थी जुलाई में घटकर 18 प्रतिशत पर आ गया।
पिछले तीन मॉनसून महीनों में अगस्त सबसे कमजोर रहा। देश भर में 31 अगस्त तक बारिश के आंकड़े में व्यापक कमी आयी और यह घटकर सामान्य से 3 फीसदी नीचे पहुँच गया। देश के लगभग सभी क्षेत्र अगस्त बीतते बारिश के मामले में पिछड़ गए। दक्षिण भारत में सामान्य से 7 प्रतिशत कम, मध्य भारत में सामान्य से 5 फीसदी कम और उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 3 फीसदी कम वर्षा हुई थी। पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र ही सामान्य बारिश के पास थे।
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सितंबर के शुरुआती 3 दिनों में देश के विभिन्न भागों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। इस दौरान दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत से लेकर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और पूर्वी भारत तक अपेक्षित वर्षा रिकॉर्ड की गई। लेकिन इस कहानी का अच्छा अध्याय भी जल्द खत्म हो गया और बारिश फिर से कम हो गई है। देश भर 3 सितंबर तक कुल बारिश का आंकड़ा सामान्य से 3 प्रतिशत नीचे रहा।
सितंबर के लिए पूर्वानुमान
स्काइमेट के दीर्घावधि पूर्वानुमान के अनुसार मॉनसून 5 फीसदी कम बारिश के साथ सम्पन्न होगा। स्काइमेट ने वर्ष 2017 में कुल 95 फीसदी बारिश का अनुमान जताया था और अब तक के मॉनसून के प्रदर्शन से हम इसी अनुमान के सच होने की तरफ बढ़ रहे हैं।
अगले 10 दिनों के दौरान मॉनसून पश्चिमी राजस्थान से वापसी करना शुरू कर देगा। इससे पहले मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में बनी हुई है जिससे उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में मौसम साफ और शुष्क है तथा उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चल रही हैं।
उत्तर भारत में जल्द किसी ऐसे मौसमी सिस्टम के विकसित होने की उम्मीद कम है जो मॉनसून ट्रफ को मैदानी भागों में ला सके। इसके चलते हमारा अनुमान है कि उत्तर-पश्चिम भारत में अगले एक सप्ताह तक मौसम शुष्क बना रहेगा।
हालांकि मध्य और दक्षिण भारत में कुछ स्थानों पर बारिश जारी रहेगी। दक्षिण भारत में अगले 8-10 दिनों के दौरान मॉनसून सक्रिय रह सकता है। इस दौरान कर्नाटक, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश होने की संभावना है। यह राज्य अब तक कमजोर मॉनसून का शिकार हुए हैं।
देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में संभावित मॉनसूनी वर्षा का ज़िक्र करें तो पूर्वोत्तर भारत में अच्छी वर्षा फिर से देखने को मिल सकती है जबकि पूर्वी राज्यों में लोगों को अगले कुछ दिनों तक निराशा ही हाथ लगेगी।
Image Credit: Financial Times
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