पूर्व-मध्य और उसके आसपास के दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के भागों पर बना डीप डिप्रेशन मंगलवार यानि 11 जून को चक्रवात वायु में बदल गया है। अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान वायु इस समय पश्चिमी तट की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह महाराष्ट्र से उत्तर में गुजरात की ओर बढ़ रहा है।
बुधवार की सुबह यानि 12 जून को यह एक अति भीषण चक्रवाती तूफान में बदल गया। यह तूफान वर्तमान में पूर्वी मध्य अरब सागर में अक्षांश 17.1 ° N और देशांतर 70.6 ° E के पास है और गोवा के 420 किमी WNW, मुंबई के 320 किमी SSW पर है। पिछले छह घंटों में, तूफान ने 18 किमी प्रति घंटे की गति से काफी तेज हो गयी है। वायु के गुजरात में वेरावल के आसपास सौराष्ट्र तट को पार करने की उम्मीद है।
स्काइमेट के मुताबिक, वायु के 13 जून को गुजरात के तटीय इलाके जैसे कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, राजकोट, जूनागढ़, दीव, गिर सोमनाथ, अमरेली और भावनगर के भागों में पहुंचने की संभावना है।
इस बीच हालात से निपटने के लिए तकरीबन 3 लाख लोगों का रेस्क्यू कराने के लिए सेना और एनडीआरएफ की टीम ने कमर कस ली है। इससे पहले पिछले महीने आए फानी तूफान से ओडिशा में काफी तबाही हुई थी।
इस बीच चक्रवात का असर महाराष्ट्र में दिखने लगा है। मुंबई में तेज हवाओं की वजह से कई पेड़ गिर गए। काफी तेज चक्रवाती तूफान अभी मुंबई से 280 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम क्षेत्र तक पहुंच चुका है। महाराष्ट्र के उत्तरी तट पर इसकी वजह से 50-60 से लेकर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दिनभर हवाएं चलने की संभावना है। 12 और 13 जून को महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में समुद्र के किनारे हालात खराब हो सकते हैं।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मौत और विनाश का एक निशान छोड़ जाने वाले जानलेवा चक्रवात पर एक नज़र :
हुगली रिवर चक्रवात (1737): इसे अब तक के सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक मानी जाती है। कलकत्ता साइक्लोन ने 11 अक्टूबर, 1737 को लैंडफॉल बनाया था जिसके कारण 300,000 से 350,000 लोगों की जानें गयी थी।
बारबाडोस का महान तूफान: साल 1780 में 9 अक्टूबर के आसपास यह मार्टिनिक और सेंट लूसिया और फिर प्यूर्टो रिको और डोमिनिकन में दस्तक दिया था। इस दौरान 22,000 से 27,000 लोगों की मौत हुई थी।
फिलीपींस के हाइफ़ोंग टाइफून: साल 1881 में आये यह चक्रवात ने वियतनाम के हाइफ़ोंग शहर में कहर बरपाया। इसके कारण समुद्र के तटीय इलाकों में रहने लगभग 300,000 स्थानीय लोगों की मृत्यु हो गई। इसके अलावा बीमारी और भुखमरी के कारण और भी लोगों के मृत्यु की खबर सामने आयी थी।
बांग्लादेश में ग्रेट भोला चक्रवात: नवंबर 1970 में आये इस तूफ़ान के दौरान हवा की गति 220 किमी प्रति घंटे से भी अधिक थी। इस चक्रवात ने कम से कम 300,000 लोगों की जान ले ली। हालांकि, कुछ अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक मृतकों की संख्या लगभग 500,000 बताया गया था। यह अब तक दर्ज सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है और सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से भी एक है।
चक्रवात नरगिस: साल 2008 में एशिया में हिट होने वाले सबसे घातक चक्रवातों में से एक माना जाता है। साइक्लोन नरगिस का गठन उस वर्ष के अंत में हुआ था और इसकी श्रेणी 4 की तीव्रता से भारत, थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, लाओस, बांग्लादेश और अन्य प्रभावित हुए थे। आधिकारिक मृत्यु दर बढ़कर 140,000 हो गई, लेकिन वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है।
Image Credit:ABP Live
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