भारत में आमतौर पर मार्च से गर्मी शुरू हो जाती है और मई-जून तक यह चरम पर पहुँच जाती है। हालांकि गर्मी लोगों को जुलाई-अगस्त तक सताती रहती है। ग्रीष्म ऋतु में 1 मार्च से 31 मई तक रुक-रुक कर होने वाली प्री-मॉनसून वर्षा कभी-कभी गर्मी से राहत दिलाती है।
वर्षा ऋतु के शुरू होने पर यानि मॉनसून के आगमन के बाद बारिश बढ़ने से धरती कि गर्म सतह ठंडी होने लगती है और लोगों को गर्मी से राहत मिलने लगती है। मई से ही भारत के लोग दक्षिण भारत में केरल में मॉनसून के आगमन की प्रतीक्षा करने लगते हैं।
मॉनसून-2020 की प्रतीक्षा के बीच देश के विभिन्न भागों में प्री-मॉनसून वर्षा में कमी आ गई है। लू का प्रकोप अब देश के मध्य भागों से बढ़ते हुए उत्तर, दक्षिण और पूर्वी भागों तक पहुँच गया है। राजस्थान के कई जिलों में तापमान 45-46 डिग्री के करीब पहुँच गया है।
समय से पहले आ रहा है मॉनसून
इस बीच साल 2020 में जैसी संभावना जताई गई थी अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तथा इससे सटे दक्षिणी अंडमान सागर और दक्षिण पूर्वी बंगाल की खाड़ी में 17 मई को मॉनसून ने दस्तक दे दी है, जहां सामान्यतः मॉनसून के आगमन की तिथि 22 मई तय की गई है। इसी तरह केरल में भी सामान्य से पहले मॉनसून के आगमन की संभावना है।
स्काइमेट का अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जल्द ही आगे बढ़ेगा और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पश्चिमी हिस्सों तथा श्रीलंका को पार करते हुए केरल के दक्षिणी भागों में दस्तक देगा। केरल में सामान्य समय से 3 दिन पहले यानी 28 मई को मॉनसून का आगमन हो सकता है। इससे पहले ही केरल और आसपास के तमाम इलाकों में बारिश बढ़ जाएगी।
इस बार राहत की बात यह है कि अल नीनो नहीं है और इंडियन ओषन डायपोल तथा एमजेओ सकारात्मक भूमिका में है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2020 के सामान्य रहने की संभावना है। सामान्य मॉनसून भारत के लिए काफी मायने रखता है। एक बेहतर मॉनसून भारत की अर्थव्यवस्था को भी बेहतर कर जाता है।
सामान्य मॉनसून देश के लिए आशा की किरण
इस समय समूची दुनिया कोरोनावायरस की महामारी के संकट से जूझ रहा है। कोविड-19 महामारी के चलते 25 मार्च से लेकर 31 मई तक के लॉक डाउन में देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। ऐसे में अच्छे मॉनसून की खबर एक राहत की रोशनी है जो इस अर्थव्यवस्था को गिरने से बचाने में अहम भूमिका अदा कर सकती है।
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