उत्तर प्रदेश और बिहार में किसानों को अब मॉनसूनी बारिश के एक और दौर का इंतज़ार है। दोनों राज्यों में अब तक मॉनसून वर्षा का वितरण समान नहीं रहा है। हालांकि दोनों राज्यों में बारिश के आंकड़े सामान्य बारिश दर्शाते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 1 जून से 18 तक 258.1 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में बिहार में 362.2 मिलीमीटर वर्षा हुई, जो सामान्य से 4 प्रतिशत कम है।
इस बीच गंगा के मैदानी भागों में स्थित दोनों राज्यों में बीते कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही है। लेकिन इस समय मौसमी परिदृश्य संकेत कर रहा है कि जल्द ही दोनों राज्यों पर मॉनसून की कृपा जल्द ही होगी और अच्छी बारिश की गतिविधियां दर्ज की जाएंगी। बीते कुछ समय में मॉनसून ने प्रगति की है और राजस्थान तथा पंजाब के बचे हिस्सों में भी मॉनसून ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही मॉनसून की अक्षीय रेखा के उत्तर में पहुँचने की संभावना है जो अभी मध्य भारत में है।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून की अक्षीय रेखा उत्तरी भागों में बढ़ेगी। साथ ही मध्य पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होगा जिसके चलते मॉनसून की अक्षीय रेखा का पश्चिमी सिरा उत्तर प्रदेश में पहुंचेगा। इसके अलावा ओड़ीशा पर बने डिप्रेशन के आगे बढ़ने के कारण पूरी छोर भी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर पहुँच जाएगा। इस मौसमी बदलाव के चलते दोनों राज्यों में 21 जुलाई से वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी।
उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिलों विशेषकर बांदा, चित्रकूट, महोबा, झाँसी और इलाहाबाद जैसे इलाकों में 20 जुलाई से ही हल्की वर्षा शुरू हो जाएगी। बारिश का प्रभाव 21 जुलाई से राज्य के कई भागों में बढ़ेगा और 21 से 24 जुलाई के बीच वाराणसी, इलाहाबाद और लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की जा स्काती है। इस दौरान कहीं-कहीं भारी बारिश का भी अनुमान है।
इसी तरह बिहार के दक्षिण और पश्चिमी जिलों में कुछ स्थानों पर 21 जुलाई से 24 जुलाई के बीच हल्की से मध्यम मॉनसून वर्षा हो सकती है। कहीं-कहीं भारी बारिश के आसार हैं। पटना, गया, औरंगाबाद, सासाराम, आरा, छपरा और बेगूसराय मुख्य रूप से वर्षा के केंद्र में होंगे। इन भागों में 21-24 जुलाई के बीच अच्छी वर्षा होने की संभावना है।
Image credit: Familypedia
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