पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारत में हवाओं की रफ्तार काफी कम बनी हुई है तथा तापमान भी कम है। हवाओं की रफ्तार कम होने से धुएं और धूल सहित बाकी प्रदूषण के करण अधिक दूरी तक नहीं खेल पाते इसी के प्रभाव से वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है। वायु के तापमान कम होने के कारण सुबह के समय धुंध और कुहासा बन जाता है तथा इसमें मौजूद वास्तु के कणों के ऊपर यहां धूल और धुएं के कारण चिपक जाते हैं तथा एक स्मॉग की चादर बना लेते हैं।
मध्य पाकिस्तान पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने की प्रक्रिया जारी है तथा उन राज्यों से भी दुआ दिल्ली की तरफ पहुंच रहा है। साथ ही साथ दिल्ली और आसपास के इलाकों का अपना प्रदूषण भी हवा की कम अवतार के कारण इकट्ठा होता जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अति खतरनाक स्थिति पर पहुंच चुका है। वायु प्रदूषण से राहत केवल दो ही मौसम के कारकों के प्रभाव से मिल सकती है। उनमें से एक है तेज बारिश तथा दूसरा है एक ही दिशा से लगातार तेज हवाएं चलना। अभी फिलहाल बारिश की संभावना नहीं है परंतु एक राहत की खबर यह है कि 6 नवंबर से उत्तर पश्चिमी दिशा से तेज हवाएं चलेंगी जिससे वायु प्रदूषण से काफी राहत मिल सकती है।
2020 में दिवाली के तुरंत बाद तेज बारिश ने तथा 2019 में दीपावली के बाद तेज हवाओं ने प्रदूषण से राहत पहुंचाई थी। इस वर्ष भी दिल्ली तथा उत्तर भारत को तेज हवाएं ही राहत पहुंचाएगी।