राजधानी दिल्ली सहित भारत के कई शहरों में हर साल वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। दिल्ली इसमें सबसे ऊपर है। एक अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2017 में भारत में 10 लाख से ज्यादा लोगों की असमय मौत का कारण प्रदूषण बना था। प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा है जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया भर में सुर्खियों में रहती है। स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव की पड़ताल के लिए किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि एक सामान्य इंसान के जीवन में औसतन डेढ़ साल तक कमी प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण होती है।
अध्ययन के मुताबिक अकेले दिल्ली में वर्ष 2017 में प्रदूषण के चलते 12322 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली में सूक्ष्म प्रदूषण कण यानी पीएम 2.5 हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। पीएम 2.5 के अलावा पीएम 10 प्रदूषक कण अधिकांश दिल्ली की हवाओं में घातक स्तर पर रहता है। खासकर अक्तूबर से फरवरी के बीच यह बेहद घातक हो जाता है। भारत में प्रदूषण के मामले में शिखर पर होती है दिल्ली। उसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान का नंबर आता है।
अध्ययन में बताया गया है कि 2017 में 6.7 लाख लोगों की मौत घर के बाहर हवा में मौजूद प्रदूषण कणों के कारण हुई जबकि 4.8 लाख लोगों की मौतें घर के अंदर की हवा में घुले प्रदूषण के कारण हुई है। इसी अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में लोगों की उम्र 1 वर्ष 7 महीना अधिक होती अगर वायु प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी नुकसान नहीं होते तो।
यह अध्ययन में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, भारतीय लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के अलावा अन्य स्वास्थ्य संबंधी एजेंसियों के साथ-साथ भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया गया है। इसका उद्देश्य प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव का पता लगाना था। इसमें दावा किया गया है कि वर्ष 2017 में प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण जितनी मौतें हुई हैं वह तंबाकू से जुड़ी विकृतियों के कारण होने वाली मौतों से अधिक हैं।
इससे अलग शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन में इससे भी डरावना तथ्य सामने आया है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली में बीते 2 दशकों में वर्ष 2016 सबसे अधिक प्रदूषित रहा जिससे आम आदमी के जीवन में 10 वर्ष की कमी आई है।
Image credit: Indian Express
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