साल 2019 के मुक़ाबले 2020 की शुरुआत काफी बेहतर हुई है। इस नए साल की शुरुआत से पहले यानि पोस्ट मॉनसून सीज़न में भी मौसम का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। यह सारी बातें बारिश के संदर्भ में हैं। आपको बता दें कि बीते पोस्ट मॉनसून सीज़न में सामान्य से 29% अधिक बारिश हुई थी। पहले पोस्ट मॉनसून सीज़न में अच्छी बारिश और उसके बाद नए साल की शुरुआत में देश के कई इलाकों में अच्छी बारिश के चलते रबी फसलों के उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है।
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इस समय मध्य से लेकर उत्तर और पूर्वी भारत के भागों तक गेहूं, चने, सरसों, मटर सहित ज़्यादातर रबी फसलें विकास करने की अवस्था में हैं। ऐसे में सिंचाई की ज़रूरत होती है और अगर सामान्य रूप से बारिश होती है तो मिट्टी में नमी पर्याप्त हो जाती है जिसे फसलों का विकास अच्छा होता। ऐसे में फसलों के बेहतर उत्पादन की संभावना बढ़ जाती है।
वर्ष 2018 के कमजोर मॉनसून से 2019 में रबी उत्पादन हुआ था प्रभावित
इसकी तुलना में 2019 की शुरुआत कम बारिश के साथ हुई थी और ऊपर से 2018 का पोस्ट मॉनसून सीज़न भी कमजोर रहा था, जब सामान्य से 44% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। इसके चलते पिछले रबी मौसम की फसलों के लिए पानी की कमी थी और मिट्टी में कम नमी के कारण उत्पादकता प्रभावित हुई थी। रबी फसलों का उत्पादन भी कम हुआ था।
English Version: 2020 makes a thumping start as post-Monsoon season 2019 ends with rain surplus, Rabi crop output to accelerate
इस बार हालात बिलकुल अलग हैं। ना सिर्फ 2019 का मॉनसून अच्छा रहा था बल्कि पोस्ट मॉनसून सीज़न भी अच्छा रहा। अक्तूबर से दिसम्बर के बीच देश के अधिकांश भागों में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। भरपूर बारिश से सभी भागों में मिट्टी में नमी सुनिश्चित रही। इस दौरान मध्य भारत में सबसे अधिक बारिश हुई थी।
पिछले 8 वर्षों में सिर्फ दो बार ऐसा देखा गया जब मॉनसून के बाद के तीन महीनों (पोस्ट मॉनसून सीज़न) में सामान्य से अधिक बारिश हुई। इसमें भी 2019 आगे रहा।
मॉनसून 2019 के बाद भी देश भर में हुई अच्छी बारिश
देश के उत्तरी पर्वतीय राज्यों में बीते नवंबर से बारिश की गतिविधियां बढ़ीं और दिसम्बर में भी तेज़ बारिश का सिलसिला जारी रहा। इन दो महीनों में अच्छी बारिश इसलिए हुई क्योंकि लगातार पश्चिमी विक्षोभ आते रहे। नवंबर में आमतौर पर पहाड़ों पर बहुत अधिक वर्षा या हिमपात नहीं होती है। लेकिन नवंबर 2019 में तीन बार बेहद प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आए जिससे भारी बर्फबारी के साथ बारिश हुई। दिसम्बर में भी यही क्रम जारी रहा।
जब भी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास आते हैं, मैदानी भागों पर एक सर्कुलेशन भी लाते हैं। यह सर्कुलेशन मैदानी राज्यों में बारिश देते हैं। कई बार इन सिस्टमों का प्रभाव पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तक बारिश होती है।
Image credit: Gardening
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