उत्तर भारत के पहाड़ों को बर्फ की सफ़ेद चादर से ढँक देने वाले पश्चिमी विक्षोभों का प्रभाव इस साल फरवरी में उम्मीद और सामान्य से काफी कम रहा। फरवरी महीने में सभी पहाड़ी राज्यों में औसत से कम वर्षा और हिमपात दर्ज की गई। दूसरी तरफ मार्च में आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभों का प्रभाव कम होने लगता है लेकिन इस साल हुआ इसके उलट। मार्च में पश्चिमी हिमालय पर बारिश और बर्फबारी बढ़ी है क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों की लाइन लगी हुई है और इन सिस्टमों की क्षमता भी उम्मीद से ज़्यादा है। पहाड़ों पर ही नहीं देश के मैदानी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मार्च के पहले और दूसरे हफ्ते में बारिश हुई।
इस बीच एक बेहद सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ इस समय उत्तर भारत के पहाड़ों की तरफ बढ़ रहा है। यह सिस्टम 20 मार्च के आसपास पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों तक पहुंच जाएगा। यह 21 से 24 मार्च के बीच पहाड़ी राज्यों पर व्यापक बारिश और हिमपात देगा। 22 मार्च तक बारिश और हिमपात की गतिविधियां हिमाचल प्रदेश तक ही सीमित रहेंगी। जबकि 23 और 24 मार्च को उत्तराखंड के कई हिस्सों में अच्छी बारिश और हिमपात की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।
उत्तर भारत में जब भी कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आते हैं तब उत्तरी मैदानी राज्यों के ऊपर हवाओं में एक सर्कुलेशन भी विकसित हो जाता है। आगामी पश्चिमी विक्षोभ के कारण भी एक सर्कुलेशन बनेगा जिससे 22 से 24 मार्च के बीच पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश की गतिविधियाँ हो सकती हैं।
मध्य प्रदेश में भी 23 और 24 मार्च को छिटपुट बारिश होने या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना। 23 मार्च और 24 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में भी एक-दो स्थानों पर गरज के साथ हल्की से मध्यम बौछारें संभावित हैं। इस दौरान उत्तरी मैदानी इलाकों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि की गतिविधियाँ भी संभव हैं।
25 मार्च से मौसम साफ होने की संभावना है। उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में तापमान बढ़ना शुरू हो गया है, जो होली तक फिर से नीचे आ जाएगा।
Image credit: Hindustan Times
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