दक्षिण-पश्चिम मॉनसून-2020 का समय धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है। अब से लगभग 40 दिनों के भीतर मॉनसून-2020 बंगाल की खाड़ी में दस्तक दे सकता है। इस बीच अल नीनो, आईओडी और एमजेओ, मॉनसून को किस तरह से प्रभावित करते हैं, इसे लेकर भी मंथन जारी है। इन तीनों में इतनी क्षमता है कि कभी-कभी मॉनसून को व्यापक रूप में खराब कर सकते हैं और कई बार यही समुद्री स्थितियां मॉनसून के लिए सकारात्मक बन जाती हैं।
इस संदर्भ में वर्ष 2019 का मॉनसून उल्लेखनीय है, जिसे मॉनसून के इतिहास में प्रायः संदर्भित किया जाएगा। 2019 में मॉनसून का शुरुआती महीने यानी जून में अल नीनो के दबाव में रहा, जिससे संपूर्ण भारत में जून में मॉनसून की रफ्तार और इसका प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा। लेकिन उसके बाद एमजेओ और आईओडी का उभार हुआ जिससे मॉनसून की दिशा और उसका प्रदर्शन पूरी तरह से बदल गया।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अल नीनो ज्यादा से ज्यादा 9 से 12 महीनों तक प्रभाव में रहता है। आईओडी का अस्तित्व चार से छह महीनों का होता है जबकि एमजेओ समूचे दक्षिण पश्चिम मॉनसून सीजन में कुछ-कुछ दिनों के लिए किसी लहर की तरह आता और जाता रहता है। इन तीनों समुद्री पैरामीटर में से एमजेओ का जिक्र कम से कम होता है और इसके विषय में अनुमान लगाना सबसे कठिन भी है। लेकिन दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर इसका नाटकीय प्रभाव कई बार देखने को मिलता है। जहां अल नीनो और आईओडी स्थिर होते हैं वही एमजेओ परिवर्तनशील रहता है और यह एक ही सीजन में कई बार आ सकता है। इसकी अवधि 30 से 60 दिनों की हो सकती है। दूसरी ओर अल नीनो और आईओडी प्रायः एक से अधिक सीजन में भी बने रहते हैं।
एमजेओ क्या है
एमजेओ के 2 चरण होते हैं। एक चरण में यह बारिश बढ़ा देता है जबकि दूसरे चरण में इसकी वजह से बारिश कम हो जाती है। एमजेओ का प्रभाव समझने के लिए मौसम वैज्ञानिकों ने समूचे ग्लोब को 8 भागों में बांटा है। एमजेओ किसी भी समय इन 8 में से दो भागों में सक्रिय रहता है जबकि दो में यह सामान्य स्थिति में होता है और बचे चार क्षेत्रों में यह शिथिल अवस्था में होता है।
एमजेओ का अब तक का प्रभाव अगर देखें तो मौसम विशेषज्ञ इसकी संभावना या इसके बारे में पूर्वानुमान लगा पाने में काफी मशक्कत करते हैं। भारतीय मॉनसून में एमजेओ 2 व 3 चरणों में 1 या उससे अधिक बार आता है जिसे बारिश बढ़ाने वाला माना जाता है और यह कम से कम 7 से 10 दिनों तक रहता है।
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एमजेओ का असर भी बारिश के संदर्भ में अल नीनो, ला नीना या आईओडी जैसा रहता है। लेकिन इसका प्रभाव साप्ताहिक तौर पर देखने को मिलता है। इसलिए एमजेओ की सकारात्मक भूमिका में होने के बावजूद पूरे सीजन या मासिक बारिश के आंकड़ों में इसका प्रभाव नगण्य हो जाता है। एमजेओ विशाल क्षेत्र पर असर डालता है और बड़े क्षेत्र की वायुमंडलीय स्थितियों को नियंत्रित या संचालित करता है। इसलिए यह कह सकते हैं कि एमजेओ भी मॉनसून के प्रदर्शन को बदल सकता है, इसके आगमन और इसकी क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। एमजेओ सूखा, बाढ़, ब्रेक-मॉनसून या लू जैसी प्रभावी मौसमी विपदाओं का रुख बदल सकता है।
एमजेओ का पूर्वानुमान कुछ दिनों या कुछ सप्ताह के लिए लगाया जाता है। एक तरफ जहां इसका प्रभाव बड़ा होता है या हो सकता है वहीं दूसरी ओर इसके बारे में अनुमान लगाने की संभावना और इस अनुमान की सटीकता बहुत कम रहती है। ब्यूरो ऑफ मैट्रोलोजी यानि बॉम, एमजेओ का 45 दिनों का पूर्वानुमान जारी करती है। इसके हालिया पूर्वानुमान के अनुसार जिस समय हिंद महासागर क्षेत्र पर मॉनसून पहुंच रहा होगा, खासतौर पर मई 2020 के मध्य में अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के पास उस दौरान एमजेओ के इस क्षेत्र में रहने की संभावना है। हम आशा करते हैं कि मॉनसून भारत में सही समय पर शुरू होगा।
Image credit: Cruise Critic
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