[Hindi] मॉनसून 2017, सामान्य से कम वर्षा के साथ हुआ विदा; स्काइमेट का अनुमान रहा सटीक

October 4, 2017 4:00 PM | Skymet Weather Team

चार माह लंबा मॉनसून सीज़न सामान्य से कम बारिश के साथ आधिकारिक तौर पर 30 सितंबर को सम्पन्न हो गया। इस दौरान देश भर में सामान्य से 5 फीसदी कम यानि 95 प्रतिशत वर्षा दर्ज की गई। वर्ष 2017 में समूचे भारत में 1 जून से 30 सितंबर के बीच कुल 841.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। यह आंकड़े 887.5 मिलीमीटर की सामान्य बारिश के मुक़ाबले 5 फीसदी कम हैं।

स्काइमेट ने अपने दीर्घावधि पूर्वानुमान में मॉनसून के कमजोर रहने की आशंका व्यक्त की थी और अनुमान लगाया था कि 95 फीसदी बारिश होगी। मौसम पूर्वानुमान के लिए काम करने वाली भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़े कंपनी स्काइमेट ने अपने पूर्वानुमान में 5 प्रतिशत का एरर मार्जिन भी रखा था। यानि बेहतर होने की स्थिति में मॉनसून 100 फीसदी तक और नकारात्मक बदलाव की सूरत में 90 फीसदी तक बारिश हो सकती है।

स्काइमेट का मॉनसून पूर्वानुमान

स्काइमेट ने 28 मार्च को अपना मॉनसून पूर्वानुमान जारी किया था जिसमें 95 फीसदी बारिश की संभावना जताई थी और मॉनसून सम्पन्न होने तक कंपनी अपनी भविष्यवाणी पर अडिग रही। दूसरी ओर अन्य संगठनों ने अपने मॉनसून पूर्वानुमान में समय-समय पर बदलाव किए। भारत की सरकारी एजेंसी आईएमडी ने भी अपने पूर्वानुमान में संशोधन किया और 96 प्रतिशत से बढ़कर 98 प्रतिशत कर दिया।

स्काइमेट बनाम आईएमडी

अमरीका की नेशनल ओशनिक एंड एट्मोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) और ऑस्ट्रेलिया की ब्यूरो ऑफ मिटीओरोलॉजी (BOM) के मॉडल उभरते अल नीनो के अगस्त के मध्य में कमजोर होने का संकेत कर रहे थे। इसके चलते अगस्त और सितंबर में मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार दिखाया जा रहा था। यही वजह है कि कई एजेंसियों ने अपने मॉनसून पूर्वानुमान में संशोधन किए और अधिक बारिश का अनुमान जताया।

स्काइमेट ने भी अल नीनो की बदलती स्थितियों पर विचार किया लेकिन उभरते मैडेन जूलियन ओशीलेशन (MJO) और इंडियन ओशन डायपोल (IOD) को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया। यही वजह है कि जहां दुनियाभर के कई संगठनों ने भारत के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान में बदलाव किया वहीं स्काइमेट 95 फीसदी बारिश के अपने पूर्वानुमान पर कायम रहा।

जून महीने में भारत में मॉनसून के बेहतरीन प्रदर्शन के साथ 104% की अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई। उत्तर-पश्चिम भारत में इस दौरान सबसे व्यापक वर्षा रिकॉर्ड की गई। जुलाई में भी मॉनसून ने देश को अच्छी बारिश की सौगात दी और सामान्य से अधिक यानि 102% वर्षा दर्ज की गई। जुलाई और अगस्त में देश के कई राज्यों मसलन गुजरात, दक्षिणी राजस्थान, मुंबई, असम, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों और ओड़ीशा में भारी बारिश के चलते बाढ़ का प्रकोप देखने को मिला।

कुछ भागों में लगातार मूसलाधार वर्षा के चलते मॉनसून का प्रदर्शन किसी समय 106% तक पहुँच गया है। हालांकि यह स्थिति थोड़े समय के लिए ही थी। लेकिन मॉनसून की अक्षीय रेखा यानि एक्सिस ऑफ मॉनसून ट्रफ (AMT) के हिमालय के तराई क्षेत्रों में जाने और मॉनसून में ब्रेक की संभावित स्थिति को स्काइमेट ने गंभीरता से लिया और उत्साह में आकर अपने पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं किया। स्काइमेट ने मॉनसून में ब्रेक को ध्यान में रखते हुए बताया कि सामान्य से ऊपर चल रहे वर्षा के आंकड़े जल्द नीचे आएंगे।

यही सच भी हुआ। मॉनसून की अक्षीय रेखा के हिमालय के तराई क्षेत्रों में जाने के चलते सितंबर के पहले पखवाड़े में देश भर के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून सुस्त रहा और बहुत कम बारिश हुई। सितंबर के तीसरे सप्ताह में बारिश बढ़ी लेकिन दक्षिण भारत में ही सीमित रही। मध्य भारत और पूर्वी भारत में भी धीरे-धीरे बारिश बढ़ गई लेकिन यह उतनी अधिक नहीं थी जिससे वर्षा के आंकड़ों में सुधार हो।

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मॉनसून का मासिक प्रदर्शन

स्काइमेट का दीर्घावधि मॉनसून पूर्वानुमान सटीक तो रहा ही, क्षेत्रवार पूर्वानुमान में भी स्काइमेट की भविष्यवाणी सच साबित हुई। स्काइमेट ने मॉनसून का आगाज होने से पहले ही उत्तर भारत के मैदानी राज्यों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम मॉनसून वर्षा का अनुमान लगाया था।

मॉनसून ने सबसे अधिक निराश मणिपुर और उत्तर प्रदेश को किया। 1 जून से 30 सितंबर के दौरान मणिपुर में 33 प्रतिशत कम और उत्तर प्रदेश में 29 फीसदी कम मॉनसून वर्षा हुई। हरियाणा में 26, नगलैंड में 25 और पंजाब में 22 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई।

Image Credit: One India

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