दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर हाहाकार मच रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से विश्व भर में जलवायु बदल रही है और आम जन-जीवन प्रभावित हो रहा है। अब तक बाढ़, तूफान, ओलावृष्टि, भूकंप और सुनामी जैसी प्रकृतिक आपदाओं को ही पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा था। लेकिन अब हीट वेव यानि लू दुनियाभर में नई चुनौती बनकर उभरी है। माना जा रहा है कि हीट वेव जल्द ही उत्तरी गोलार्ध के देशों के लिए जानलेवा बन सकती है।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार विश्व भर में मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन का कारण बन रही है। माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन ग्रीष्म ऋतु में हीटवेव यानी लू को बेहद खतरनाक बना सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि जब सूर्यास्त होने पर तापमान घटता है और रात का समय शुरु होता है उस दौरान मानव स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार अगर धरती से वापस लौटने वाली गर्मी को रोकने वाली गैसों और प्रदूषण तत्वों को कम करने के प्रयास नहीं किए गए तो 2100 तक पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध भीषण हीट वेव का शिकार हो सकता है। यह हीटवेव जानलेवा हो सकती है।
English Version: Study-Heat wave to get worse in the coming decades
अध्ययन करने वाली टीम के डॉक्टर यांग चेन और डॉ जुन वांग ने कहा कि दिन में बेतहाशा गर्मी के बाद लोग अगर रात के समय अपेक्षाकृत कम तापमान होता है तो शरीर को दिन भर की बेतहाशा गर्मी से राहत मिल जाती है और वह अगले दिन की गर्मी झेलने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन जब दिन में अधिक तापमान का सिलसिला रात में भी बना रहेगा और लोगों को निरंतर गर्मी से राहत नहीं मिलेगी तो इसके बेहद खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार हीट वेव कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकती है जिससे मानव अस्तित्व के लिए संकट पैदा हो सकता है। अध्ययन दल के अनुसार दिन और रात के तापमान दोनों लगातार बढ़ते जा रहे हैं। उत्तरी गोलार्ध में वर्ष 1960 से अब तक 5 से अधिक बार ऐसा देखा गया है जब तापमान औसत से 1.5 डिग्री ऊपर रिकॉर्ड किया गया। यह रुझान आगे भी जारी रहने वाला है।
Image credit: Desh Gujarat
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