बदलती जलवायु, बढ़ते ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन और प्रकृतिक संसाधनों के दोहन के बीच पानी की कमी आने वाले दिनों में सबसे सबसे बड़ी चिंता का विषय बनने वाला है। इस बीच दुनिया के विभिन्न भागों में वैज्ञानिक इस दिशा में काम कर रहे हैं कि कैसे पानी की कमी को पूरा किया जा सके। हाल ही में एक भारतीय विज्ञानी समीर राव ने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो रेगिस्तान की शुष्क हवा से भी पीने योग्य पानी निचोड़ सकता है।
रेगिस्तान की हवा अन्य इलाकों के मुक़ाबले बेहद शुष्क होती है। इन हवाओं में नमी महज़ 10 प्रतिशत होती है। इस नमी को भी निचोड़कर अगर पानी संग्रहित कर लिया जाए तो रेगिस्तान में जन-जीवन को आसान बनाया जा सकता है। रेगिस्तान की हवा से भी पानी निकालने वाले उपकरण का परीक्षण एरिजोना के सबसे शुष्क टेम्पे क्षेत्र में किया गया है। नया उपकरण मेटल-आर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) पर आधारित है। एमओएफ मेटल आयन से युक्त यौगिक होते हैं। इस उपकरण से महज 10 फीसद आर्द्रता वाली शुष्क हवा से भी पानी निचोड़ा जा सकता है।
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यूं तो हवा में मौजूद नमी से पानी बनाने की विधि पहले से ही मौजूद है लेकिन इससे पहले कोहरे और ओस की बूंदों से यानि अधिक आर्द्रता की स्थिति में ही पानी बनाया जा सकता था। ऐसी हवाओं में आर्द्रता 50 से 100 फीसदी होती है। यह पहली बार है जब 10 फीसदी आर्द्रता वाली हवाओं से भी पानी निकाला जा सकेगा।
इस तकनीक में पानी निकालने के लिए रेफ्रिजरेशन आधारित प्रणाली के चलते अत्यधिक मात्र में ऊर्जा की जरूरत होती है। जबकि नए उपकरण को सौर ऊर्जा से चलने योग्य बनाया गया है। अभी यह उपकरण एक दिन में हवा से 250 मिलीलीटर पानी ही बना सकता है। लेकिन उपकरण में लगे मेटल को बदलने से पानी बनाने की क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी। वैज्ञानिक समीर राव के मुताबिक सौर ऊर्जा से यह मशीन अभी एक दिन और एक रात तक ही काम कर सकती है। इसके लगातार काम करने के लिए इसमें बायोमास जैसे अन्य छोटे ऊर्जा श्रोतों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
Image credit: millenniumpost
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