बहुप्रतीक्षित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी अंडमान सागर, मार्तबान की खाड़ी और इससे सटे पूर्वी बंगाल की खाड़ी पर बना है। इसके अगले 24 घंटे में आयोजित होने की संभावना है। इसके अलावा, उष्णकटिबंधीय तूफान लायनरॉक का अवशेष परिसंचरण, जो वर्तमान में लाओस और थाईलैंड के ऊपर बना हुआ है, पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो जाएगा और अंडमान सागर के ऊपर विलीन हो जाएगा। इन दोनों सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से 13 अक्टूबर को एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। मानसून के बाद के मौसम का यह पहला निम्न दबाव का क्षेत्र अगले 48 घंटों में उत्तर-पश्चिम की ओर दक्षिण ओडिशा और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ जाएगा।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्तर-पश्चिम भारत और गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के कुछ हिस्सों से पहले ही विदाई हो चुकी है। निम्न दबाव के बनने और उसके बाद पूर्वी तट की ओर बढ़ने के दौरान, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से बाहर निकलते हुए पूर्वी और मध्य भागों से मानसून वापस आ जाएगा। दो अलग-अलग एयरमास, शुष्क पीछे हटने वाले मानसून स्तंभ और बंगाल की कड़ी से समुद्री नम धारा, परस्पर विपरीत परिस्थियों का निर्माण करेंगे। यह निम्न दबाव के क्षेत्र को मैदानी इलाकों में स्थानांतरित होने नहीं दे सकता है। साथ ही निम्न दबाव के क्षेत्र के प्रभाव को काम कर दिया जाएगा।
इस मौसमी सिस्टम के सहयोग से मौसम की गतिविधि ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय भागों तक ही सीमित रहेगी और बाद में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु को प्रभावित करने के लिए दोनों ओर फैलेगी। पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर एक और चक्रवाती परिसंचरण है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण की ओर झुका हुआ है। इन दोनों मौसम प्रणालियों को मिलाने वाली अपरूपण रेखा दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत से होते हुए केरल, रायलसीमा, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु में चलेगी। अगले 4-5 दिनों तक is पूरे क्षेत्र में भारी बारिश की संभावना है।
दक्षिण चीन सागर में एक और उष्णकटिबंधीय चक्रवात 'कोम्पासु' बना हुआ है। इसके अगले 5 दिनों में एक तूफान बनने और फिलीपींस, हैनान, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड को प्रभावित करने की संभावना है। इस प्रणाली के कमजोर अवशेष 16-17 अक्टूबर के आसपास म्यांमार को काटते हुए बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने की संभावना है। यह इस सप्ताह के अंत तक एक और सिस्टम के लिए परिस्थितयां प्रदान करता है। तब तक मॉनसून की वापसी पूरी तरह से इसके तेज होने की राह आसान कर सकती है। बंगाल की खाड़ी में एक प्रभावी पोस्ट मानसून सिस्टम के बनने की सम्भावना है।