उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों की तरफ जनवरी महीने का तीसरा पश्चिमी विक्षोभ आता हुआ नजर आ रहा है। यह सिस्टम 31 जनवरी की शाम से जम्मू कश्मीर में अपना असर दिखाना शुरू करेगा और उम्मीद है कि 1 फरवरी से 3 फरवरी के बीच पश्चिमी हिमालयी राज्यों में कई जगहों पर वर्षा और बर्फबारी दर्ज की जाएगी।
पश्चिमी विक्षोभ इस समय उत्तरी पाकिस्तान और इससे सटे जम्मू कश्मीर के पास पहुंच गया है। लेकिन इसका प्रभाव रविवार की शाम या रात से जम्मू कश्मीर पर शुरू होगा और उसके बाद 1 फरवरी से गतिविधियां बढ़ेंगी जब जम्मू कश्मीर के अलावा गिलगित-बालटिस्तान मुजफ्फराबाद समेत लद्दाख और उत्तरी हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा और बर्फबारी दर्ज की जाएगी। यह सिस्टम पिछले दोनों सिस्टम से कमजोर होगा जिससे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा वर्षा या हिमपात के आसार फिलहाल नहीं है।
आमतौर पर जब उत्तर भारत में कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आते हैं तब उत्तर पश्चिमी दिशा से मैदानी इलाकों की तरफ आने वाली सर्द हवाओं का रुख बदल जाता है, हवाओं की गति धीमी हो जाती है जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार मध्य प्रदेश और गुजरात के भागों में जारी सर्दी में कमी आती है लेकिन यह सिस्टम कमजोर भी है साथ ही साथ यह जम्मू-कश्मीर के उत्तर से होकर गुजरेगा यानी यह हायर एल्टीट्यूटस से आगे बढ़ेगा, जिसके कारण उत्तर पश्चिमी सर्द हवाओं को रोकने में अपनी भूमिका नहीं निभा पाएगा। परिणामस्वरूप पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत जिन भागों में शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है अगले दो-तीन दिनों तक इसी तरह से सर्दी का आलम जारी रहेगा।
साथ ही साथ जब उत्तर भारत के पहाड़ों पर कोई सक्रिय सिस्टम आता है तब मैदानी इलाकों पर बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से उसे मदद मिलती है और वह मैदानी इलाकों पर भी बारिश देता है। लेकिन जैसा कि यह सिस्टम भारत के उत्तरी क्षेत्रों से होकर आगे बढ़ेगा इसलिए मैदानी क्षेत्रों में बारिश की संभावना फिलहाल इस सिस्टम के प्रभाव से नहीं है।
लेकिन इस सिस्टम के जाने के बाद कुछ संयोग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं जिनके आधार पर अनुमान है कि 4 फरवरी से न सिर्फ उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उसके बाद पूर्वी भारत के भी कुछ इलाकों में वर्षा की गतिविधियां व्यापक रूप में देखने को मिलेंगी। लेकिन इसके बारे में अभी सटीक अनुमान लगा पाना कठिन है और इसके बारे में हम आपको अपने अगले लेखों में अपडेट करेंगे।
Image credit: The Statesman
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