भारत दशकों से एक कृषि प्रधान देश रहा है। इसलिए मौसम का मिजाज़ हमारे देश की कृषि के लिए अहम माना जाता है। भारत की लगभग 60 फीसद आबादी रोजगार के लिए मोटे तौर पर कृषि पर निर्भर है और भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्टेयर में से 141 मिलियन हेक्टेयर भू-क्षेत्र पर खेती की जाती है। यह आंकड़े आज भी भारत को कृषि प्रधान देश सिद्ध करते हैं। लेकिन एक अहम तथ्य यह है कि 141 मिलियन हेक्टेयर में से महज़ 65.3 मिलियन हेक्टेयर खेती ही ऐसी है जिसके लिए सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। बाकी खेती बारिश पर आश्रित है। यही वजह है कि मॉनसून का रुख तय करता है कि खरीफ उत्पादन कैसा होगा।
बारिश के अलावा सिंचाई के लिए उपलब्ध साधनों की अगर बात करें तो देश में छोटे पोखर भी खेती में किसानों की मदद करते हैं। इसके अलावा सरकार ने भी देश में बड़े जलाशयों और तटबंधों का निर्माण करवाया है। इन जलाशयों और तटबंधों की संख्या 91 है। जिनमें लगभग 37 जल विद्युत परियोजनाओं के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए हैं। इन 91 जलाशयों की कुल क्षमता लगभग 157 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी के संग्रहण की है।
पिछले हफ्ते जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार इनमें क्षमता का आधा लगभग 75 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है। यह बड़े जलाशय मध्य और पश्चिमी भारत में कृषि सिंचाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा गाँव स्तर पर भी लोग छोटे-छोटे जलाशयों में वर्षा का जल संग्रहण कर इसका इस्तेमाल सिंचाई के लिए कर सकते हैं।
Image credit: india-wris.nrsc.gov.in
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