यह साल का वो समय है जब रिडल कछुओं के प्रजनन का समय होता है, पिछले पांच दिनों में लगभग चार लाख से अधिक ओलिव रिडल कछुए इसके लिए ओडिशा के केंद्रपाड़ा में गहिरमाथा समुद्र तट पर पहुंचे हैं। गहिरमाथा तट पर ओलिव रिडल कछुओं का जाल सा बिछा है और ये कछुए अंडे भी देने लगे हैं।
विलुप्ति की कगार पर खड़ी कछुओं की इस प्रजाति के अंडा देने और प्रजनन की प्रक्रिया के लिए ओडीशा का गहिरमाथा समुद्र तट सबसे मुफ़ीद जगहों में से एक है। कछुओं के सामूहिक रूप से अंडे देने का ये सातवां दिन है जो अगले एक और सप्ताह के लिए जारी रहेगा।
वन विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक समुद्र तट पर कछुओं के अपना आसरा बनाने की जो प्रकिया है वो लगभग 27 फरवरी से शुरू हो जाती है।
आपको बता दें कि ये घोंसला क्षेत्र व्हीलर द्वीप पर 'मिसाइल परीक्षण रेंज' केंद्र के करीब है। जहां अंडे देने के उद्देश्य से समुद्र तट पर कम से कम 4,41,257 रिडल कछुए पहुंचे हैं। अगले कुछ दिनों में इनकी संख्या में कमी होने की संभावना है।
हालांकि, साढ़े 6 लाख के करीब ओलिव रिडल कछुए, ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्र में अंडे दे सकते हैं। पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो तक़रीबन 6.5 लाख से अधिक मादा कछुए प्रजनन प्रक्रिया के लिए समुद्र तट पर आये थे। वर्ष 2001 में 7 लाख 41 हजार कछुए गहिरमाथा तट पर आए थे, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या का रिकॉर्ड है।
ओलिव रिडल कछुओं के लिए तटवर्ती क्षेत्र में सुरक्षा दायरा शख्त कर दिया गया है। मछुआरों को भी प्रजनन स्थल पर जाने से रोक दिया गया है। इसके अलावा वन अधिकारियों द्वारा समुद्र तट पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, ताकि यह देखा जा सके कि कुत्ते, सियार या अन्य जानवर कछुओं को नुकसान ना पहुंचाएं।
रिडल कछुए की प्रजनन वाली जगह मिसाइल परीक्षण रेंज के बहुत करीब है, इसलिए पर्यटकों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। वन विभाग ने कछुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समुद्र तट पर 600 मीटर का नेट बैरिकेड लगाया है।
Image credit: Odisha Sun Times
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