उत्तर भारत में सबसे अधिक बारिश होती है मॉनसून सीज़न में। उसके बाद अक्टूबर से जनवरी के बीच पश्चिमी विक्षोभ के चलते कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश देखने को मिलती है। इस बार दिसम्बर तक पश्चिमी विक्षोभों की संख्या कम रही जिससे दिसम्बर तक बारिश सामान्य से नीचे रही। जबकि जनवरी के बाद अब तक सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई है।
आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि उत्तर भारत के राज्यों में 2019 के शुरुआती दो महीने अच्छी बारिश के लिए भी याद रखे जाएंगे। जनवरी और फरवरी में पहाड़ों पर ही नहीं बल्कि मैदानी इलाकों में भी हालात ऐसे भी बने कि लोगों को मॉनसून का सीज़न याद आने लगा। कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के अलावा राजधानी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तरी राजस्थान में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई।
यूं तो उत्तर भारत के राज्यों में सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभों के कारण हर बार बारिश होती है। लेकिन इस बार कुछ ज़्यादा ही बारिश देखने को मिली है। जनवरी आते-आते बारिश का सिलसिला कम हो जाता है, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों की संख्या घट जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। बल्कि फरवरी में उम्मीद से कई गुना अधिक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में पहुंचे हैं।
जनवरी और फरवरी महीनों में हर साल औसतन 5-6 बार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं। जबकि इस बार 13 पश्चिमी विक्षोभ आए। जिसका परिणाम उत्तर भारत से लेकर मध्य भारत तक अच्छी बारिश हुई। आंकड़े इसका प्रमाण हैं। 1 जनवरी से 28 फरवरी के बीच उत्तर भारत में 57% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
मार्च में भी यह सिलसिला जारी रहने की है संभावना। फरवरी में हुई अच्छी बारिश के कारण उत्तर भारत के शहरों से सर्दी अभी विदा नहीं हुई है बल्कि कई इलाकों पर शीतलहर जैसी स्थितियाँ बनी हुई हैं।
Image credit: Rising Kashmir
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।