आने वाले सप्ताह के आखिर में उत्तर भारत के पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश का एक और दौर शुरू होने की संभावना है। हालांकि, इस सीजन में सर्दियों की बारिश काफी देर से शुरू हुई, इसलिए ऐसा लग रहा है कि मौसम की गतिविधियां मार्च के पहले पखवाड़े तक बढ़ जाएंगी। इसके बाद बसंत ऋतु सिकुड़ सकती है और गर्मियों के सामान्य लय में आने की संभावना है। हल्की सर्दी का सुखद दौर रहेगा, जिससे दिन में हल्की गर्मी और रात में हल्की ठंड मार्च के पहले पखवाड़े(15) का मुख्य आकर्षण रहेगी।
इस प्रणाली से होगी बारिश/ बर्फबारी: पश्चिमी विक्षोभ कल पश्चिमी हिमालय पर पहुँच रहा है। प्रेरित परिसंचरण के रूप में इसका समर्थन सिस्टम भी 24 घंटे के अंतराल के साथ चलेगा। 29 फरवरी को पहाड़ों से मौसम की गतिविधियां धीमी गति से शुरू होंगी। मैदानी इलाकों में प्रेरित प्रणाली के मूल प्रणाली के साथ विलय के बाद अगले 48 घंटों में मौसम गतिविधि की तीव्रता और प्रसार में वृद्धि होगी। गंभीरता के क्रम में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के निचले और मध्य इलाकों में भारी से बहुत भारी बर्फबारी होने की संभावना है।
इन जगहों पर होगी बर्फबारी: 02 फरवरी को कश्मीर घाटी और लाहौल-स्पीति कुल्लू घाटी के लोकप्रिय बर्फीले स्थानों पर भीषण गतिविधि होने की संभावना है। श्रीनगर, गुलमर्ग, पहलगाम, पटनीटॉप, मनाली, चंबा, डलहौजी और कुल्लू घाटी के लोकप्रिय रिसॉर्ट्स पर लगभग 48 घंटों तक मौसम की मार का खतरा रहेगा। लगातार बारिश और तेज आंधी के साथ कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। उत्तराखंड राज्य में 01 मार्च को कम और 02 मार्च को अधिक खराब मौसम की स्थिति देखने को मिलेगी।
बारिश के साथ तूफान और ओलावृष्टि: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के तलहटी इलाकों में भारी तूफान और ओलावृष्टि होगी। 01 और 02 मार्च को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र में मध्यम बारिश होगी। बचा हुआ मौसमी असर 03 मार्च को भी देखा जाएगा, क्योंकि बारिश पूर्व की ओर चली जाएगी। इन दो दिनों में बिजली गिरने, तेज हवाएं चलने और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है।
बढ़ेगा खतरा, बरते सावधानी: पहाड़ों पर भारी बर्फबारी से संचार और कनेक्टिविटी बाधित हो सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग और मुख्य सड़कें अवरुद्ध होने की संभावना है। भूस्खलन, चट्टानें गिरने और भयंकर बिजली गिरने से स्थिति और भी जटिल हो सकती है। श्रीनगर और लेह की हवाई कनेक्टिविटी प्रभावित होगी। यह सलाह दी जाती है कि यात्रा को लोकप्रिय रिसॉर्ट्स तक ही सीमित रखें। साहसिक गतिविधियों को इस अवधि के लिए रोकने की जरूरत है। जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।