जून और जुलाई के महीने में हुई भारी मॉनसून की बारिश ने बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी थी। जून के तीसरे सप्ताह में ट्रफ रेखा खिसक कर हिमालय के निचले इलाकों पर ली गई थी। जिसके कारण बिहार के साथ साथ नेपाल की पहाड़ियों में भी भारी बारिश देखने को मिली है। जिससके परिणामस्वरूप पश्चिम चंपारण, बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सारण, मुजफ्फरपुर और बिहार के आसपास के जिलों में व्यापक बाढ़ आई।
नेपाल और बिहार में जुलाई के पहले दो हफ्तों के दौरान हुई लगातार और मूसलाधार बारिश के चलते गंडक, कोसी और घाघरा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, और बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति बन गई है।
वहीं बंगाल की खाड़ी पर लगातार दो निम्न दबाव के क्षेत्र बन रहे है। इसमें पहला निम्न दबाव का क्षेत्र 23 जुलाई के आसपास और दूसरा 26 जुलाई तक बन सकता है। जिसके कारण 26 जुलाई तक बिहार के कई जिलों में बारिश की गतिविधियों के बढ़ने की उम्मीद है। निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए बिहार को भी प्रभावित करेगी। इसके अलावा मानसून की अक्षीय रेखा भी बिहार से होकर गुजरेगी। जिसके चलते बिहार के उत्तरी जिलों के साथ-साथ नेपाल की पहाड़ियों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। 27 जुलाई को बारिश की तीव्रता सबसे अधिक हो सकती है। भारी बारिश की यह गतिविधियां 29 जुलाई तक जारी रहने की संभावना है। इसलिए, उस अवधि के दौरान बिहार में भारी बाढ़ का खतरा है।
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञो का पूर्वानुमान है कि 26 से 29 जुलाई के बीच बिहार रेड अलर्ट पर रह सकता है। हालांकि 29 जुलाई के बाद वर्षा की इन गतिविधियों में कमी आने की उम्मीद है। लेकिन बारिश की हल्की फुहारें जारी रह सकती हैं जिसके चलते बाढ़ की स्थिति जल्द सामान्य होने के आसार नहीं हैं।