विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में अगले दो दिनों में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है। वहीं तीसरे दिन (23 जुलाई) को बारिश की तीव्रता में कमी देखने को मिल सकती है। हालाँकि कुछ जगहों पर अत्यधिक भारी बारिश के कारण स्थानीय स्तर पर बाढ़ भी आ सकती है।
महाराष्ट्र में मानसून की स्थिति बेहतर बनी हुई है और अब तक राज्य के अधिकांश स्थानों पर सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश देखने को मिली है। 21 जून से 10 जुलाई के बीच दो सप्ताह से अधिक समय तक मानसून की गतिविधियां कमजोर बनी रहने के बावजूद, इन उप-मंडलों में पर्याप्त मानसूनी बारिश दर्ज की गयी है। जबकि मराठवाड़ा के ज्यादातर इलाकों के आंकड़ों में सुधार हुआ है वहीं अन्य दो उप-मंडलों में भी औसत के करीब बारिश दर्ज की गयी है।
वर्तमान में, बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी भाग पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है तथा जल्द ही एक निम्न दबाव का क्षेत्र भी उसी क्षेत्र में आ सकता है। अरब सागर से आने वाली पछुआ हवाओं और बंगाल की खाड़ी से मानसून की पूर्वी दिशा की मुड़ती हवाओं के मिलन का महत्वपूर्ण क्षेत्र बन रहा है। यह संगम क्षेत्र अगले 48 घंटों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाली एक अन्य मौसमी सिस्टम के कारण विस्थापित होने से पहले ही मराठवाड़ा और विदर्भ के ज्यादातर हिस्सों में बारिश देखने को मिल सकती है।
इन तीनों उप-मंडलों में आज और कल यानि 22 जुलाई को आधे उत्तरी भाग में दक्षिणी भाग की अपेक्षा अधिक बारिश होने की संभावना है। अकोला, अमरावती, वाशिम, वर्धा, बुलढाणा, नागपुर, जालना, हिंगोली, परभणी, औरंगाबाद, जलगांव, धुले, नंदुरबार, अहमदनगर, नासिक और पुणे में भी आंधी, गरज के साथ छींटे और तेज हवाएं चलने के साथ तेज बारिश की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। हालाँकि इस सप्ताह के अंत तक मौसम की स्थिति में सामान्य सुधार की उम्मीद है।