देश के पूर्वी और मध्य हिस्सों में प्री-मॉनसून गतिविधि बढ़ने की संभावना है। जिसके बाद इन क्षेत्रों में बहुत लंबे समय तक रहने वाली उमस भरी गर्मी कम हो जाएगी। हालाँकि, तेज़ गति वाली हवाओं और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि के कारण फसलों को कुछ नुकसान हो सकता है। जीवन और भौतिक संसाधनों दोनों को मौसम की गतिविधियों से बचाने की आवश्यकता है।
प्री-मॉनसून तूफान की स्थिति: प्री-मॉनसून तूफानों के प्रसार और ताकत को बढ़ाने के लिए देश विभिन्न भागों में कई मौसम प्रणालियाँ एक साथ जुड़ रही हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इसके अलावा, एक ट्रफ रेखा उत्तरी राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से होते हुए इस सिस्टम पर पहुंचेगी। बंगाल की खाड़ी से तट के पास और बाहर आने वाली नम दक्षिणी हवाएं तूफानी परिस्थितियों में शामिल हो जाएंगी। मौसमी गतिविधि की ताकत और पैमाने को बढ़ाने के लिए मौसमी प्रायद्वीपीय भारत ट्रफ भी बनी रहेगी।
इन राज्यों में उग्र गतिविधि: बिहार, झारखंड और ओडिशा 07 से 11 मई 2024 के बीच बहुत उग्र मौसम गतिविधि होने के लिए सबसे आगे हैं। वहीं, पूर्वी मध्यप्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ को थोड़ी हल्की तबाही के साथ दूसरे पायदान पर रखा जाएगा। पश्चिम बंगाल में मौसम की गतिविधि काफी हद तक गंगा के मैदानी इलाकों तक ही सीमित रहेगी। बारिश का यह दौर सप्ताह के आखिर तक खिंच सकता है और अगले सप्ताह तक भी बढ़ सकता है।
स्थानीय लोग बरतें सावधानी: व्यापक प्री-मानसून गरज के साथ बिजली गिरने और तेज हवाओं का प्रकोप भी बढ़ेगा। वहीं, भारी और बहुत ठंडी पानी की बूंदों से भरे विशाल बादल ओलावृष्टि करते हैं। यह बादल वायुमंडल में ऊपर उठने के कारण बनते हैं और खासतौर पर ठंडे पानी की बूँदों के साथ भरे होते हैं। बता दें, अंधाधुंध बारिश, गरजती हवाओं और ओलों का घातक मिलन मनुष्यों और भौतिक संसाधनों को समान रूप से नुकसान पहुंचाने की विनाशकारी क्षमता रखता है।