पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात में अगले चार दिन, रविवार तक भारी मानसूनी बारिश होने की संभावना है। बारिश का बचा हुआ असर अगले सप्ताह की शुरुआत में भी जारी रहेगा और बाद में कम हो जाएगा। बता दें, इन दोनों राज्यों में मौसम की गतिविधि( बारिश, हवाएं) मध्यम तीव्रता की रहेगी। केवल कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। हालांकि, राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों और सौराष्ट्र-कच्छ में मौसम खराब रहने की संभावना है।
राजस्थान में कम दबाव का क्षेत्र और मानसूनी ट्रफ: दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र थोड़ा कमजोर हो गया है और राज्य के मध्य भागों में शिफ्ट हो गया है, साथ ही चक्रवाती परिसंचरण भी बना हुआ है। मौसमी मानसून ट्रफ भी दक्षिण की ओर खिंच गया है और वायुमंडल के निचले स्तर में परिसंचरण के केंद्र से होकर गुजर रहा है। यह पैटर्न सप्ताहांत तक मामूली उतार-चढ़ाव के साथ बना रहेगा। बंगाल की खाड़ी में बन रहा एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र तेज होने पर और भूमि पर पहुंचने के बाद परिसंचरण(circulation) और ट्रफ के पश्चिमी छोर को कमजोर कर देगा। इसके बाद, अगले सप्ताह के मध्य से मौसम की स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश: शुरुआत में, गहन गतिविधि गुजरात और दक्षिण राजस्थान के अंदरूनी इलाकों तक ही सीमित रहेगी। जबकि गुजरात के उत्तरी और मध्य भागों में जोरदार मानसून की स्थिति का खतरा होगा, पूर्वी राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम और मध्य भाग मानसून के प्रकोप के प्रति अधिक संवेदनशील होंगे। राजस्थान के पश्चिमी आधे हिस्से और उत्तर-पूर्वी हिस्से, जिसमें जयपुर, अजमेर, अलवर, धौलपुर और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं, इन सभी में हल्की बारिश देखी जाएगी।
गुजरात और राजस्थान के जोखिम वाले क्षेत्र: गुजरात में जिन क्षेत्रों में बारिश की तीव्र गतिविधि का खतरा है, उनमें बनासकांठा, पाटन, डीसा, मेहसाणा, पालनपुर, साबरकांठा, अहमदाबाद, गांधीनगर, आनंद, बड़ौदा, खेड़ा, गोधरा, पंचमहल, अरावली, दाहोद और छोटा उदयपुर शामिल हैं। वहीं, राजस्थान में जिन स्थानों पर तीव्र गतिविधि की संभावना है, उनमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, जालोर, सिरोही, पाली और नागौर शामिल हैं।
फसलों को नुकसान होने के आसार: लगभग चार दिनों तक लगातार और रुक-रुक कर होने वाली बारिश खड़ी फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण कुछ फसलों का गिरना भी संभव है। मौसम की स्थिति में सुधार 12-13 सितंबर के बाद होने की संभावना है।