दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) सहित उत्तर पश्चिम भारत में हाल ही में 27 मई से 4 जून तक भीषण गर्मी का अनुभव हुआ। इस चिलचिलाती गर्मी के बाद राजस्थान में और भी अधिक तीव्र गर्मी की स्थिति पैदा हो गई, जो 23 मई से शुरू हुई। राजस्थान के चुरू और फलोदी जैसे जिलों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। पाकिस्तान में दक्षिण सिंध को भी ऐसी ही स्थितियों का सामना करना पड़ा, जहां कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री से अधिक था।
हवा का पैटर्न बदलने से राहत: इस भीषण गर्मी के पीछे सिंध, बलूचिस्तान और राजस्थान के थार रेगिस्तान से आने वाली गर्म, शुष्क पश्चिमी हवाओं का लगातार प्रवाह था।साफ आसमान निरंतर प्रवाह था। साफ आसमान और लगातार धूप के कारण गर्मी और बढ़ गई। हालाँकि, हवा की दिशा में बदलाव होने के साथ कुछ अस्थायी राहत मिली।
उत्तर भारत में आँधी-तूफान: अरब सागर से दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ उत्तर-पश्चिम भारत में बहुत आवश्यक नमी लेकर आईं। जिसके कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छिटपुट धूल भरी आँधी, तूफान और बारिश हुई। साथ ही आर्द्रता का स्तर बढ़ने से तापमान में गिरावट हुई और लू भी कम हो गई।
इन क्षेत्रों में वापस लौटेगी हीटवेव: लेकिन, चिलचिलाती गर्मी से राहत देने वाली यह अवधि बहुत ही थोड़े समय के लिए है। दक्षिण-पश्चिम हवाओं के एक बार फिर से दिशा बदलने और पश्चिम की ओर से चलने की उम्मीद है। इस बदलाव से शुष्क मौसम की स्थिति आएगी, जिससे तापमान बढ़ेगा और हीटवेव फिर से चलनी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों में भीषण हीटवेव की स्थिति देखने को मिलेगी।
5-6 दिन बाद उत्तर भारत में मानसून: अच्छी खबर यह है कि मानसून पूरे दक्षिण और मध्य भारत में आगे बढ़ रहा है। हालाँकि, मानसून की पूर्वी शाखा को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तक पहुँचने में 5-6 दिन और लग सकते हैं। 15 या 16 जून के आसपास गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है। जब बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आने वाली पूर्वी हवाएँ इन क्षेत्रों तक पहुँचने की भविष्यवाणी की गई हैं। हवा के पैटर्न में इस बदलाव से छिटपुट बारिश और आँधी आने की संभावना है, जिससे चिलचिलाती गर्मी और बढ़ते तापमान से कुछ राहत मिलेगी।