राजस्थान में गर्मी का प्रकोप, सप्ताहांत पर धूल भरी आँधी

May 8, 2024 6:11 PM | Skymet Weather Team

प्री-मॉनसून सीज़न के दौरान पश्चिमी राजस्थान को उत्तर भारत का सबसे गर्म क्षेत्र माना जाता है। शुष्क भूभाग और मौसम प्रणालियों की कमी तूफान की गतिविधि को कम कर देती है। एकत्रित गर्मी से जैसलमेर, बाड़मेर, फलोदी, बीकानेर, सूरतगढ़ और गंगानगर की सीमा चौकियों पर अक्सर धूल भरी आंधियां उठती हैं, जिससे धूल की दीवारें बनती हैं। कई स्थानों पर पारा कई दिनों तक 45 डिग्री सेल्सियस के गर्म स्तर को आसानी से पार कर जाता है।

लू के साथ धूल भरी आँधी: राजस्थान राज्य बढ़ते तापमान की चपेट में है। जिस कारण राज्य के अधिकांश हिस्सों में लू चलने की संभावना है। गंगानगर, फलोदी, बाड़मेर और जैसलमेर में कल यानी 7 मई को तापमान 44°C से अधिक था। देश का सबसे अधिक तापमान 45.2 डिग्री सेल्सियस बाड़मेर में दर्ज किया गया। यहां तक ​​कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी इस मौसम में पहली बार कल (7मई) को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। अगले 2 दिनों तक चिलचिलाती गर्मी रहने की संभावना है और सप्ताहांत में आंशिक राहत मिलेगी। राजस्थान के बहुत बड़े क्षेत्र में धूल भरी आँधी चल सकती है।

ऐसी बन रही मौसम प्रणाली: निचले स्तर पर मध्य पाकिस्तान क्षेत्र पर एक चक्रवाती परिसंचरण चिह्नित है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ कल यानी 9 मई को पहाड़ों पर आ रहा है। चक्रवाती परिसंचरण चार्ज हो जाएगा और पश्चिमी राजस्थान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों पर आगे बढ़ेगा। इस मौसम प्रणाली के कारण पूरे गुजरात क्षेत्र में अरब सागर से नमी आने की संभावना है।

तेज हवाओं के साथ धूल का खतरा: अगले दो दिनों में राजस्थान के कुछ स्थानों पर पारा 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा। वहीं, राज्य के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में 'लू' चलने की संभावना है। 10 और 11 मई को भीषण धूल भरी आँधी चलने की उम्मीद है,खासतौर पर सीमा के नजदीक से थोड़े दूर के हिस्सों में। जैसलमेर, बाड़मेर, फलोदी, बीकानेर, गंगानगर, सूरतगढ़ में तेज हवाओं और चकाचौंध धूल का खतरा दूसरे स्थानों की तुलना में ज्यादा होगा।

इन दो राज्यों में भी असर: पंजाब और हरियाणा में पश्चिमी हवाओं के साथ धूल के गुबार पूर्व की ओर बढ़ सकते हैं। राज्य के पूर्वी हिस्सों में गरज के साथ बारिश की गतिविधियां अधिक हो सकती हैं, जिसके बाद तेज हवाएं और बौछारें पड़ सकती हैं। वहीं, हाई लेवल पर एक गहरा पश्चिमी ट्रफ, मुख्य मौसम प्रणाली के पीछे है, जो दो दिन 10 और 11 मई को अलग-अलग जगहों पर ओलावृष्टि शुरु कर सकता है। बचा हुआ असर छिटपुट मौसम गतिविधियों के साथ 12 मई को भी बना रह सकता है।

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