गुजरात में सप्ताहांत में गर्मी बढ़ने की संभावना, लेकिन जल्द मिलेगी राहत
Mar 25, 2025, 5:00 PM | Skymet Weather Teamपिछले दो दिनों के दौरान गुजरात के अधिकांश हिस्सों में तापमान में बढ़ोतरी देखी गई है। भुज, राजकोट, सुरेंद्रनगर, अहमदाबाद, गांधीनगर, वल्लभ विद्यानगर, बड़ौदा, अमरेली और डांग जैसे कई शहरों में पिछले 24 घंटों के दौरान पारा 40°C को पार कर गया। हालांकि, मार्च के इस समय तापमान में बढ़ोतरी कोई असामान्य बात नहीं है। हर साल इस दौरान गर्मी बढ़ने लगती है, लेकिन इस बार यह सीज़न में दूसरी बार तेज़ गर्मी का दौर है।
मार्च के दूसरे सप्ताह में अब तक की सबसे ज़्यादा गर्मी देखी गई। 14 मार्च को गुजरात के राजकोट में तापमान 43.5°C तक पहुंच गया, जो इस साल देश में सबसे अधिक था। इसी तरह, ओडिशा के बौध जिले में भी 17 मार्च को तापमान 43.5°C दर्ज किया गया। इन दोनों जगहों पर अब तक का सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि, आने वाले दिनों में तापमान में कुछ गिरावट की संभावना है, लेकिन यह सिर्फ थोड़े समय के लिए होगी। महीने के अंत तक गर्मी फिर से तेज़ हो सकती है और तापमान 40°C से ऊपर जा सकता है।
अगले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट की संभावना
गुजरात में अत्यधिक गर्मी अगले कुछ दिनों तक बनी रहने की संभावना नहीं है। उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ और मध्य पाकिस्तान व राजस्थान पर बने चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव से अरब सागर से दक्षिण-पश्चिमी हवाएं निचले स्तरों में आ रही हैं। ये हवाएं आर्द्र हैं लेकिन इतनी तेज़ नहीं कि 40°C से अधिक तापमान को लंबे समय तक बनाए रख सकें। खासतौर पर गांधीनगर और अहमदाबाद में अगले तीन दिनों के दौरान तापमान में गिरावट देखी जा सकेगी। हालांकि, 29 मार्च के बाद फिर से गर्मी बढ़ने की संभावना है। इस बीच 30 मार्च से 2 अप्रैल 2025 के बीच गुजरात के कुछ हिस्सों में हल्की असामान्य बारिश भी हो सकती है, जिससे तापमान में फिर से कमी आ सकती है।
गुजरात और पश्चिमी राजस्थान: देश के सबसे गर्म क्षेत्र
गुजरात और पाकिस्तान से सटे पश्चिमी राजस्थान के इलाके देश के पश्चिमी हिस्से के सबसे गर्म स्थानों में शामिल हैं। इसी तरह, पूर्वी भारत में ओडिशा और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ मध्यवर्ती क्षेत्र प्री-मानसून सीजन में सबसे गर्म रहते हैं। इन इलाकों में गर्मी उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने और दक्षिण में भूमध्यरेखीय मौसमी प्रणालियों के प्रभाव कम होने के बाद बढ़ेगी। अप्रैल और मई के दौरान पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत के कई हिस्से लगातार प्रचंड गर्मी की चपेट में रह सकते हैं।