इस समय पश्चिमी हिमालयी राज्यों: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के भागों को एक सशक्त पश्चिमी विक्षोभ प्रभावित कर रहा है। उत्तर भारत के मैदानी राज्यों पर भी इसका असर है। इसी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित हुआ था। इस चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से एक ट्रफ निकल कर उत्तरी अरब सागर में कराची के दक्षिण-पूर्वी तटों और उससे सटे गुजरात के तटों तक पहुँच रही है।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य के चलते गुजरात और इससे सटे मध्य प्रदेश के भागों पर अरब सागर से दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ आ रही हैं, जो इन भागों में आर्द्रता को बढ़ा रही हैं। मौसम का मिजाज़ इन भागों में बदला है, इससे गुजरात के पूर्वी तथा दक्षिण पूर्वी भागों, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश और मध्य महाराष्ट्र के उत्तरी इलाकों में कुछ स्थानों पर बारिश या गरज से साथ बारिश होने की संभावना है।
इन भागों में 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहे दिन के तापमान में 1 से 2 डिग्री सेलशियस की गिरावट दर्ज की जा सकती है। हालांकि वातावरण में नमीं बढ़ने से न्यूनतम तापमान में कुछ बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं।
इन भागों में बारिश और गरज के साथ बूँदाबाँदी की यह गतिविधियां अगले 48 घंटों तक जारी रह सकती हैं। 48 घंटों के यह गतिविधियां समाप्त हो जाएंगी और मौसम शुष्क हो जाएगा। देश के इन भागों में समान्यतः इस दौरान बारिश ना के बराबर होती हैं। हालांकि इस अवधि में यदि अरब सागर में कोई मौसमी सिस्टम या राजस्थान और उसके आसपास कोई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित होता है तो गुजरात और मध्य प्रदेश के भागों में यदा-कदा बारिश देखने को मिलती है।
पश्चिमी मध्य प्रदेश के भागों, दक्षिणी गुजरात और महाराष्ट्र के लगभग सभी भागों में लंबे समय से मौसम शुष्क चल रहा है। इसके पीछे एक तथ्य को हम कारण मान सकते हैं कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के सभी भागों से वापस लौट चुका है और उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन 28 अक्टूबर से पहले होने की कोई संभावना नहीं है।
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