बिहार पिछले सप्ताह के मध्य से भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार के तलहटी इलाकों, नेपाल के पहाड़ों और जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश की संभवाना पहले ही जताई गई थी। मानसून प्रणाली का अवशेष, जो पहले उत्तर प्रदेश तक पहुंचा था, अब मानसून ट्रफ के पूर्वी छोर को तलहटी की ओर शिफ्ट कर दिया है। यह स्थिति हमेशा भारी से बहुत भारी बारिश के लिए अनुकूल होती है।
बिहार में बाढ़ के कारण: बिहार में भीषण बाढ़ के पीछे कई कारण हैं। पूरे नेपाल में भारी बारिश हुई है। शुरुआत में जलग्रहण क्षेत्र पानी के प्रवाह को रोकने में सक्षम होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे पानी की मात्रा बढ़ती है, पानी का प्रवाह तेज हो जाता है और फिर पानी तेजी से बहता है। ऐसे में पहाड़ों पर भारी बारिश इस स्थिति को और बिगाड़ देती है। बता दें, भारी बारिश के बाद नेपाल ने सन 1970 के बाद सबसे अधिक पानी छोड़ा है। नेपाल के बांध और बैराज अपनी क्षमता से अधिक भरे हुए हैं। इसीलिए पानी लगातार और भारी मात्रा में तेजी से बह रहा है।
तराई इलाकों में भारी बारिश: बिहार के तराई इलाकों में भी भारी बारिश हुई है, जिससे 13 से अधिक जिलों में गंभीर रूप से बाढ़ का असर हुआ है। लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा के लिए उन्हे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बिहार राज्य की सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं, खासकर कोसी नदी, जिसे बिहार की शोक नदी भी कहा जाता है। वहीं, गंडक और बुढ़ी गंडक भी खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं और तटबंधों को तोड़ रही हैं। गौरतलब है भारी बारिश से नेपाल में लगभग 200 लोगों की मौत हो चुकी है और बिहार में हजारों लोग पानी में फंसे हुए हैं। कोसी बैराज से पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक पानी छोड़ा गया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
बारिश कम, लेकिन पानी कम होने में लगेगा समय: पिछले 24 घंटों में प्रभावित क्षेत्रों में बारिश धीमी हो गई है। अगले 48-72 घंटों में भी बारिश तेज होने की संभावना नहीं है और यह न्यूनतम रहेगी। हालांकि, जैसा कि अक्सर होता है, पानी के स्रोतों का स्तर बारिश रुकने के बाद भी कुछ समय तक बढ़ता रहता है। लेकिन, मौसम की स्थिति में काफी सुधार होगा, जिससे बचाव कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी। फिर भी, स्थिर पानी और बाढ़ प्रभावित निचले क्षेत्रों से पानी बाहर निकलने में समय लगेगा। पानी धीरे-धीरे कम होगा और नया पानी जल्द ही आना बंद हो जाएगा। कुल मिलाकर, स्थिति में सुधार की उम्मीद है जिससे राहत कार्यों को जारी रखा जा सकेगा।