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[Hindi] राजस्थान और मध्य प्रदेश में बाढ़ की स्थितियों में जल्द सुधार की उम्मीद

August 4, 2021 4:24 PM |

जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में राजस्थान और मध्य प्रदेश में लगातार बारिश देखने को मिली है। पिछले 3 दिनों से पूर्वी राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। भीषण बारिश के कारण, कुछ पुल, कई सड़कें बाह गयी हैं और कुछ बांधों, जलाशयों और झीलों में पानी का स्टार बहुत बढ़ गया है। बारिश की इन गतिविधियों ने संचार और संपर्क व्यवस्था को बाधित कर दिया है।

इसके अलावा राजस्थान राज्य के पूर्वी हिस्से में बहुत ही विविध और उपजाऊ भूमि है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और चंबल क्षेत्र इस भाग से सटे हुए हैं, जिनमें विभिन्न ऊंचे इलाके हैं तथा नदियाँ और घने जंगल हैं। यह पूरा क्षेत्र मूसलाधार बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे पूरा भूभाग जलमार्ग में बदल गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित हुए स्थानों में बूंदी, कोटा, सवाई माधोपुर, दतिया, गुना, श्योपुर, शिवपुरी और अशोक नगर शामिल हैं।

पिछले 3 दिनों में इनमें से अधिकांश स्थानों पर लगभग 400-500 मिमी बारिश दर्ज की गई है। मध्यम मानसूनी वर्षा वाले क्षेत्रों में औसत से कहीं अधिक वर्षा दर्ज की गयी है। इससे पहले, दतिया, गुना और श्योपुर में 24 घंटे में 132 मिमी, 107 मिमी और 115 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी और बूंदी, कोटा और सवाई माधोपुर में कल क्रमशः 202 मिमी, 158 मिमी और 127 मिमी बारिश दर्ज की गयी थी। इन इलाकों में मिट्टी अब पानी को अवशोषित करने में अक्षम हो गई है और इसलिए कुछ और दिनों तक बाढ़ की स्थितियां जारी रहने की संभावना है। जलग्रहण क्षेत्र की विविध प्रकृति और इलाके की ख़ासियत के कारण बारिश कम होने के बाद भी जल निकाय प्रतिक्रिया करते रहते हैं।

बंगाल की कड़ी पर बना हुआ निम्न दबाव क्षेत्र, अब उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश और आस पास के इलाकों पर स्थित है। यह मौसमी सिस्टम इस क्षेत्र में लगभग अर्ध स्थिर बनी हुई है जिसके परिणामस्वरूप खराब मौसम गतिविधि हुई है। अगले 72 घंटों तक प्रतिकूल मौसम की स्थिति बनी रहेगी, जबकि मामूली राहत भी दिख सकती है। इस अवधि के दौरान उच्च प्रभाव वाली मौसम गतिविधि के क्षेत्र में मामूली बदलाव की उम्मीद है।

स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, निम्न दबाव का क्षेत्र धीरे-धीरे कमजोर होने के साथ उत्तर की ओर तथा बाद में उत्तर प्रदेश की तलहटी की ओर बढ़ने की उम्मीद है। यह अगले 4-5 दिनों में मानसून की ट्रफ रेखा को अपनी सामान्य स्थिति के उत्तर की ओर खींचकर गंगा के मैदानों की तलहटी के करीब ले जाएगा। इसके बाद भारी वर्षा आगे बढ़ सकती है और नेपाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पहाड़ी क्षेत्र में हिमालयी नदी के बहाव में बढ़ोत्तरी का एक नया खतरा पैदा हो सकता है।






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