इस सीज़न का सबसे तीव्र पश्चिमी विक्षोभ 01 से 03 मार्च के बीच उत्तर भारत के पहाड़ों पर समान और व्यापक रूप से आया। भारी बर्फबारी के कारण जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में राजमार्ग और मुख्य सड़कें बाधित हो गईं। इस दौरान हिमालय क्षेत्र और पड़ोसी पाकिस्तान खतरनाक मौसम की स्थिति से जूझ रहा था। कई जगह पर भूस्खलन हुआ, जिसके कारण कुछ घर ढह गए और लोग हताहत हुए।
सैकड़ों सड़कें हुई बाधित: हिमाचल प्रदेश राज्य में रविवार तड़के लाहौल और स्पीति के एक गांव में हिमस्खलन हुआ, जिससे चिनाब का प्रवाह बाधित हो गया और आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। अन्य क्षेत्रों में आधा दर्जन से अधिक जगह हिमस्खलन और भूस्खलन हुआ। जिसके कारण पांच राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 500 से अधिक सड़कें बंद हो गईं।
लगातार बारिश के साथ बर्फबारी: बर्फबारी औऱ बारिश से लोकप्रिय रिसॉर्ट्स में से सबसे बुरी तरह मनाली प्रभावित हुआ, जो पीर-पंजाल रेंज में पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग और पर्वतारोहण के लिए जंपिंग-ऑफ पॉइंट था। पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रोहतांग दर्रे का प्रवेश द्वार 6,800 फीट से अधिक की ऊंचाई पर है। हिमाचल प्रदेश के सबसे पसंदीदा स्थान पर सीज़न में रिकॉर्ड बर्फबारी के साथ लगातार तीन दिनों तक बारिश हुई।
मनाली में बर्फबारी की संभावना: स्कीइंग और ट्रैकिंग के लिए प्रवेश द्वार मनाली में मार्च 2024 के पहले तीन दिनों में 238 मिमी वर्षा दर्ज की गई। 01, 02 और 03 मार्च को संबंधित मात्रा क्रमशः 60 मिमी, 88 मिमी और 90 मिमी थी। मनाली में सर्दियों के मौसम के दौरान मार्च के महीने में सबसे भारी बारिश होती है, औसत 202.3 मिमी होती है। औसत बारिश का लक्ष्य पहले 3 दिन में ही हासिल कर लिया गया है। हालांकि, मार्च महीने के आने वाले दिनों में बर्फबारी की संभावना बनी रहेगी।
रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी: मनाली में 2005 के बाद से 03 मार्च को 24 घंटों में सबसे अधिक 90 मिमी बर्फबारी/वर्षा दर्ज की गई थी। इससे पहले 18 मार्च 2016 को सबसे अधिक 70.4 मिमी बर्फबारी/वर्षा दर्ज की गई थी। वहीं, 22 मार्च 1990 को 112.4 मिमी की उच्चतम बर्फबारी दर्ज की गई थी। पर्यटक रिसॉर्ट ने इससे पहले मार्च 2014, 2015 और 2016 में भारी बर्फबारी की हैट्रिक दर्ज की थी। मार्च 2014 में सबसे भारी 319.6 मिमी, उसके बाद 2015 और 2016 में क्रमशः 245.1 मिमी और 271.8 मिमी देखी गई थी। अभी मार्च के महीने में तीन सप्ताह से ज्यादा का समय है, इसीलिए मनाली के अभी पहले के रिकॉर्ड को पार कर सकता है। मार्च 1988 में 448.4 मिमी का सर्वकालिक उच्चतम स्तर था, जो अभी भी एक कठिन रिकॉर्ड बना हुआ है।