जनवरी 2024 का महीना उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के लिए बेहद खराब रहा। बारिश और बर्फबारी की कमी >95% तक थी। जिससे उत्तराखंड राज्य की स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही। फरवरी महिने की शुरुआत में बैक-टू-बैक पश्चिमी विक्षोभ के कारण पर्वत श्रृंखलाओं में भारी बर्फबारी हुई। बर्फबारी ने सभी लोकप्रिय रिसॉर्ट्स और आकर्षक बर्फीले स्थानों पर टुरिस्टों को आकर्षित किया और रोमांच का एहसास कराया। हालांकि, बारिश के बाद थोड़ा सुधार हुआ, जिससे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश की कमी 30% के निचले स्तर पर आ गई। यहां तक कि, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने 01 से 06 फरवरी के बीच हुई बर्फबारी से कमी का आधा हिस्सा पूरा कर लिया था।
इसके बाद कोई भी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी भागों से होकर नहीं गुजरा है। केवल हल्के ऊपरी हवा वाले पश्चिमी ट्रफ, जो किसी भी मौसम गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उत्तर भारत की पर्वत श्रृंखलाओं पर बने हुए हैं। मौसम की कमज़ोर गतिविधि के कारण मौसमी घाटा एक बार फिर से बढ़ने लगा है। यह जम्मू और कश्मीर के लिए 60% से अधिक हो गया है और अन्य दो निकटवर्ती राज्यों में 40% के करीब है। डर यह है कि अगले एक हफ्ते में यह कमी और बढ़ जाएगी।
फरवरी महीने के पहले पखवाड़े के बाद भी पहाड़ों पर शुष्क और ठंड की स्थिति बनी रहेगी। श्रीनगर, पहलगाम, गुलमर्ग, मनाली, कुल्लू और डलहौजी टुरिस्ट आकर्षक स्थानों पर शून्य से नीचे तापमान बना रहेगा। इनमें से अधिकांश स्थान कोहरे से भी मुक्त रहेंगे और बर्फ से ढकी चोटियों का प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक होगा। हालाँकि, लंबे समय तक शुष्क रहने की स्थिति से हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। सोनमर्ग क्षेत्र में पहले ही बड़े पैमान पर हिमस्खलन हो चुका है। शुक्र है, इसमें किसी भी तरह की जान-माल की हानि नहीं हुई है।
पहाड़ी क्षेत्रों में शीतकालीन गतिविधियों की समयसीमा पर अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। लेकिन, अगले सप्ताह के अंत में किसी मौसम प्रणाली के आने के संकेत हैं। पहाड़ी इलाके इन शीतकालीन प्रणालियों की बुनियादी विशेषताओं को संशोधित करते हैं। सटीक भविष्यवाणी और पुष्टि के लिए अगले 3-4 दिनों तक इंतजार करना होगा।