जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ 'द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' के पत्रिका में अध्ययन के बाद बताया गया है कि हाल में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण जंगल में आग लगने के बाद दुबारा वैसा हीं जंगल नहीं बना सकते हैं।
किये गए अध्ययन के अनुसार, हाल ही में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण कम ऊंचाई वाले जंगलों में आग के बाद, पौधों को फिर से उगाना मुश्किल हो गया है। जिसकी वजह से वन हानि हो रही है।
'द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' के लेखक किम्बरली डेविस ने उल्लेख किया कि एक जंगल की आग को ठीक होने के लिए जंगलों की क्षमता वार्षिक जलवायु की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विशेष रूप से गर्म और शुष्क मौसम, पेड़ की रोपाई के लिए खतरा है।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया है कि वह उन विशिष्ट परिस्थितियों की पहचान करना चाहते थे जो आग लगने के बाद पेड़ के दुबारा उत्पत्ति के लिए जरुरी होंगे। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि जलवायु परिवर्तन ने समय के साथ-साथ जंगलों को किस तरह से प्रभावित किया है।
इसी बात का पता लगाने के लिए, शोधकर्ताओं ने 1988 और 2015 के बीच एरिज़ोना, कैलिफोर्निया, कोलोराडो, इडाहो और न्यू मैक्सिको में आग के बाद पुनर्जीवित होने वाले 2,800 से अधिक पेड़ों की स्थापना तारीखों को निर्धारित करने के लिए ट्री रिंग का इस्तेमाल किया। किये गए अध्ययन में पता चला है कि उमस में वृद्धि, तापमान में बढ़ोतरी और मिट्टी में नमी जैसे मौसमी बदलावों की तुलना में हर वर्ष वृक्षों के पंजीकरण की दर काफी कम है।
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अध्ययन में यह भी पता चला है कि कम ऊंचाई वाले जंगलों में से कुछ जो वर्तमान के वनों में हैं, वहां जलवायु की परिस्थितियां वैसी नहीं है जो पेड़ पुनर्जनन के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। इन क्षेत्रों में, उच्च गंभीरता वाली आग से जंगलों का बदलाव घास के मैदान या झाड़ी में भी हो सकता है। इसके अलावा, रोपे जाने वाले पौधों की तुलना में बड़े पेड़ गर्म और सुखाड़ जैसी स्थिति में भी जीवित रह सकते हैं।
Image Credit: Wikipedia
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