गुजरात में गहरे अवसाद से तबाही, मूसलाधार बारिश का कहर बरकरार

August 28, 2024 4:16 PM | Skymet Weather Team
गुजरात में भारी बारिश से बाढ़, फोटो: jansatta

मानसूनी अवसाद जो पहले दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में था, अब पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़कर कच्छ के भुज के पास केंद्रित हो गया है। यह मौसम प्रणाली पिछले 5 दिनों से गुजरात के लगभग सभी हिस्सों को एक-एक कर के प्रभावित कर रही है। 24 से 26 अगस्त तक गुजरात के पूर्वी और मध्य भागों में भारी बारिश के बाद, 26 से 28 अगस्त के बीच सौराष्ट्र और कच्छ की ओर मानसूनी कहर बढ़ गया है। विशेष रूप से कच्छ की खाड़ी के किनारे के तटीय शहर लगभग बर्बाद हो चुके हैं। वहीं, दक्षिणी किनारे के मोरबी, जामनगर, खंभालिया, राजकोट, द्वारका, ओखा और पोरबंदर में भारी तबाही हुई है। उत्तरी किनारे के कांडला, भुज, मांडवी, नलिया और लखपत में भी भारी से अत्यधिक बारिश दर्ज हुई है।

आने वाले 48 घंटों का खतरा: गहरा अवसाद धीरे-धीरे पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। अरब सागर के निकट होने से अगले 48 घंटों तक इस प्रणाली की नमी और ऊर्जा बनी रहेगी। सौराष्ट्र और कच्छ के पश्चिमी हिस्सों में अगले दो दिनों तक बाढ़ का खतरा बना रहेगा। यह अवसाद 30 अगस्त को उत्तर-पूर्वी अरब सागर और पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करेगा, जिसके बाद गुजरात के इन हिस्सों में मौसम की गतिविधियों में कमी आनी शुरू हो जाएगी। 30 अगस्त के बाद से गुजरात के अधिकांश हिस्सों में बड़ी राहत मिलने की संभावना है।

जलाशयों में बढ़ता पानी और खतरा: लगातार और भारी बारिश के कारण लगभग सभी जलाशय अपनी क्षमता से अधिक भर गए हैं। नर्मदा और साबरमती जैसी मुख्य नदियां और बांध अपनी अधिकतम सीमा के करीब पहुंच चुके हैं। गुजरात के लगभग 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले लगभग 200 जलाशय और जल निकाय ओवरफ्लो होने के खतरे में हैं। हालांकि, राज्य के भीतरी हिस्सों में बारिश में कमी आई है। वहीं, सौराष्ट्र और कच्छ में भी जल्द ही कम होने की संभावना है, लेकिन जलाशय और नदियों का जलस्तर बढ़ता रहेगा। बांधों से पानी छोड़ने और सुरक्षित स्तर बनाए रखने के कारण अगले कुछ दिनों तक सड़कों, पटरियों और खेतों में बाढ़ का खतरा रहेगा। इस सप्ताह के अंत तक  जनजीवन और बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।

फोटो क्रेडिट: जनसत्ता

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