जलवायु परिवर्तन का असर दिल्ली के मौसम सहित देश के कई भागों में देखा जा रहा है। यदि हम कहें विश्व में हर माह नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पूरे विश्व के तापमान बढ़ रहे हैं। हवा गर्म होने के कारण उसमें नमी सोखने की शक्ति भी बढ़ रही है। जब हवा में नमी अधिक होती है तथा तापमान बढ़ने लगते हैं, उस समय अति शक्तिशाली मौसमी गतिविधियों में भी वृद्धि होती है।
पिछले कई महीनों में देखा गया है कि दिल्ली हर माह एक नया कीर्तिमान बना रही है। पिछले साल अगस्त 2020 में दिल्ली में 236.5 मिलीमीटर वर्षा हुई जो 2013 के बाद से सबसे अधिक थी। सितंबर 2020 में दिल्ली का औसत तापमान 36.2 डिग्री रहा जो सन 2000 के बाद से सबसे अधिक था। दिसंबर 2020 में 8 शीतलहर रही जो पिछले 55 साल का रिकॉर्ड था। जनवरी 2021 में भी 56.6 में बारिश जो पिछले 21 साल का रिकॉर्ड था। 2021 का फरवरी महीना पिछले 120 सालों में 27.9 डिग्री तापमान के औसत से दूसरा सबसे अधिक गरम फरवरी था। 29 मार्च 2021 में 40.1 डिग्री अधिकतम तापमान मार्च के महीने में पिछले 76 सालों में सबसे अधिक था। इसी तरह 4 अप्रैल 2021 को दर्ज किया गया न्यूनतम तापमान 11.7 था जो पिछले 12 साल में सबसे कम था। इस साल 20 मई को दिल्ली में 119.3 मिली मीटर वर्षा हुई जो 24 घंटों के दौरान मई के महीने में अभी तक का रिकॉर्ड है। साथ ही 144.8 वर्षा जो इस साल वहीं मई के महीने में दिल्ली को मिल चुकी है वह पिछले 13 सालों में मई के महीने में सबसे अधिक वर्षा है।
पिछले कुछ सालों हमने देखा है कि बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में समुद्री सतह के तापमान कुछ बड़े हैं। अभी तक बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की अपेक्षा अधिक संख्या में तूफान बनते थे। अरब सागर में बनने वाले समुद्री तूफान की संख्या और तीव्रता में वृद्धि देखी गई है। यदि अरब सागर में तूफान अधिक बनने लगेंगे तो भारत के पश्चिमी तट पर खतरा बढ़ जाएगा। चिंता का विषय है यह भी है कि भारत के पश्चिमी तटों पर डॉप्लर रडार की संख्या काफी कम है। अभी तक बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की अपेक्षा अधिक संख्या में तूफान बनते थे। जिसके कारण अरब सागर में भारतीय तट के पास बनने वाले तूफानों को ट्रैक करना मुश्किल होगा। अभी तक कर्नाटका के तट पर किसी भी तूफान ने दस्तक नहीं दी है तथा महाराष्ट्र के तटों पर पहुंचने वाले तूफानों की संख्या भी काफी कम है। यदि इन राज्यों में पहुंचने वाले तूफानों की संख्या बढ़ती है तो यह एक चिंता का विषय होगा।