पिछले 24 घंटों के दौरान दिल्ली को 119 मिलीमीटर वर्षा प्राप्त हुई है। मई के महीने में 24 घंटों के दौरान होने वाली या अभी तक की सबसे अधिक वर्षा है। इससे पहले सबसे अधिक वर्षा का कीर्तिमान 24 मई 1976 का है जब 60 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। उसी तरह कल 19 मई को दिल्ली का अधिकतम तापमान 23.8 रहा जो 1951 के बाद से अब तक का सबसे कम अधिकतम तापमान मई के महीने में है।
तापमान की गिरावट लगातार चलने वाली वर्षा के कारण देखी गई। अगर हम वर्षा की बात करें कि इतनी वर्षा मई के महीने में कैसे हुई, तो इसका कारण समुद्री तूफान ताऊते से जोड़ कर देखा जा सकता है। गुजरात के तटों पर दस्तक देने के बाद समुद्री तूफान कमजोर होते हुए उत्तर पश्चिमी राजस्थान पर एक निम्न दबाव के रूप में पहुंचा था। एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर पर था साथ ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पंजाब और उससे सटे भागों पर था। अरब सागर से नमी लगातार बढ़ रही थी। इन सभी मौसम प्रणालियों के प्रभाव से राजस्थान दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के कई भागों में भारी वर्षा देखी गई। परंतु दिल्ली में होने वाली वर्षा मैं एक बदलाव देखा गया। आमतौर पर मई के महीने में प्री मानसून पैटर्न की वर्षा होती है जो गरज चमक के साथ और तेज हवाओं के साथ एक या 2 घंटे तक रहती है। हालांकि एक 2 घंटे में 40 से 50 मिलीमीटर तक की वर्षा हो जाती है। परंतु यह वर्षा मानसून की वर्षा जैसी थी जो कि बिना गरज चमक के लगातार 30 से 32 घंटे तक जारी रही। आमतौर पर यह वर्षा मानसून के दौरान अल्टो स्टेटस बादलों से होती है। इस तरह के बादल 100 से 300 या 400 किलोमीटर के दायरे में फैले होते हैं तथा उनकी मोटाई भी काफी अधिक होती है जिसके कारण रिमझिम बरसात एक या दो दिनों तक और कभी-कभी 3-4 दिनों तक होती रहती है।
तो हम कह सकते हैं कि इस बार मई का महीना पिछले कई सालों की तुलना में कुछ अलग रहा। इस प्री मानसून सीजन में दिल्ली में एक बार भी हीटवेव नहीं आई। अगले 4 या 5 दिनों तक हीटवेव आने की संभावना नजर नहीं आ रही है।