हाल ही में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो अब गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। यह स्थिति 19 नवंबर के बाद सबसे खराब है, जब AQI 460 तक पहुंच गया था, जो अधिक चिंताजनक स्तर है। बता दें, नवंबर 2024 में दिल्ली में आठ दिनों तक वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर था। इनमें से दो दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता(AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं, नवंबर के बाकी बच्चे दिन यानी 22 दिन AQI "बहुत खराब" श्रेणी में बना रहा था।
दिसंबर की शुरुआत में मामूली राहत: दिसंबर के पहले पखवाड़े में वायु गुणवत्ता में अस्थायी सुधार देखने को मिला। इस दौरान AQI ज्यादातर "मध्यम" श्रेणी में रहा। यह सुधार दिसंबर की शुरुआत में पश्चिमी हिमालय को प्रभावित करने वाले मध्यम तीव्रता वाले पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुआ। इस विक्षोभ ने उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में व्यापक वर्षा की, जिसने प्रदूषकों को फैलाने में मदद की। इसके अलावा महीने की पहली छमाही में मध्यम पश्चिमी हवाएं चलती रहीं, जिससे वायुमंडल को साफ रखने में सहायता मिली।
मौसम में बदलाव और प्रदूषण बढ़ना: हाल ही के मौसम परिवर्तन के कारण वायु प्रदूषण स्तर फिर से बढ़ गया है। पश्चिमी हिमालय में एक नया पश्चिमी विक्षोभ पहुंच रहा है, जिसने मध्य पाकिस्तान और पंजाब में एक चक्रवाती परिसंचरण को बना दिया है। जिसके कारण हवाओं की गति धीमी हो गई है और उनकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर बदल गई है। इस बदलाव से दिल्ली में नमी का स्तर बढ़ गया है।
धुंध और स्मॉग का बनना: हल्की हवाओं, उच्च नमी और कम तापमान का मेल धुंध बनने के लिए आदर्श स्थिति पैदा करता है। इस धुंध की परत के अंदर प्रदूषक जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) और हानिकारक गैसें फंस जाती हैं, जिससे स्मॉग का बनता है। मजबूत हवाओं नहीं होने के कारण प्रदूषक (pollutants) फैल नहीं पाते हैं और वायु गुणवत्ता खराब होती जाती है।
आगामी दिनों में सुधार की संभावना नहीं: वर्तमान मौसम स्थितियों को देखते हुए, आने वाले दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कोई सुधार की उम्मीद नहीं है। हल्की हवाओं और धुंध की वजह से प्रदूषकों(pollutants) के फैलाव में बाधा बनी रहेगी, जिससे AQI "गंभीर" श्रेणी में बना रह सकता है।