फिर बढ़ा दिल्ली प्रदूषण, जल्द ही खतरनाक श्रेणी में पहुंचने की आशंका

December 6, 2020 8:30 AM | Skymet Weather Team

इस साल नवंबर महीने का दूसरा पखवाड़ा हाल के कई वर्षों में सबसे स्वच्छ रहा है, क्योंकि इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक काफी बेहतर दर्ज किया गया था। इस साल की सर्दी में पहली बार नवंबर के दूसरे पखवाड़े में वायु प्रदूषण संतोषजनक स्तर पर पहुंचा था। दिल्ली एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे ही रहा जो कि आमतौर पर सर्दी के मौसम में इस समय देखने को नहीं मिलता है।

नवंबर में वायु गुणवत्ता सूचकांक में आए इस सुधार के लिए श्रेय मुख्य तौर पर दिल्ली सहित उत्तर भारत के तमाम इलाकों में दीपावली के बाद हुई बारिश को दे दिया जा सकता है। बारिश के चलते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम मैदानी शहरों के वायुमंडल पर छाया काला कुआं और प्रदूषण साफ़ हो गया था और वायु गुणवत्ता बेहतर हो गई थी। आमतौर पर दीपावली के बाद आतिशबाजी का धुआं भी हवा में घुलता है और दीपावली के अगले दिन पूरे साल का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया जाता है लेकिन इस बार बारिश की मेहरबानी और नियंत्रित आतिशबाजी के चलते दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील नहीं हुई। इसके बाद बारिश का अगला दौर 25 नवंबर को देखने को मिला जब बढ़ते हुए प्रदूषण की रफ्तार पर फिर से ब्रेक लगी और दिल्ली के लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का फिर से मौका मिला।

लेकिन नवंबर बीतने के बाद और दिसंबर की शुरुआत से ही हवा की रफ्तार थमने लगी जिससे प्रदूषण एक बार फिर से बढ़ने लगा। आमतौर पर इस समय तक पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बंद हो जाती है जिसकी वजह से धुंआ कम होने लगता है लेकिन जब हवा की रफ्तार कम होती है तब दिल्ली एनसीआर का अपना प्रदूषण वायु गुणवत्ता को बदतर करने लगता है।

इस बीच इस समय एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के करीब पहुंचा है और उसके प्रभाव से मैदानी इलाकों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान और इससे सटे पाकिस्तान पर विकसित हुआ है। इन सिस्टमों के कारण हवा की दिशा भी बदल गई है और अब उत्तर पश्चिमी की जगह पूर्वी तथा दक्षिण पूर्वी हवाएं चलने लगी है। इन हवाओं की रफ्तार कम है और इन हवाओं में नमी ज्यादा है जिसके चलते फिर से दिल्ली और एनसीआर का स्थानीय प्रदूषण अपने असली रंग में आने लगा है और वायु गुणवत्ता खराब होने लगी है।

हमारा अनुमान है कि 6 और 7 दिसंबर तक इसी तरह से प्रदूषण काफी अधिक रहेगा उसके बाद पश्चिमी विक्षोभ जब 8 दिसंबर से आगे निकल जाएगा और उत्तर पश्चिमी शुष्क और ठंडी हवाएं दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में चलने लगेंगी तब प्रदूषण में गिरावट आएगी और वायु गुणवत्ता बेहतर होगी।

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