साल 2018-19 के रबी सीजन में भारत का गेहूं उत्पादन 99.12 मिलियन टन होने की संभावना है, जो कि पिछले साल के चौथे उन्नत अनुमान के अनुसार थोड़ा कम है।
बारिश में कमी की वजह से कुल खाद्यान्न उत्पादन भी घटकर 281.37 मिलियन टन तक रहने की संभावना है। अगर पिछले साल की आंकड़े की बात करें तो यह आंकड़ा 284.83 मिलियन टन था।
वर्ष 2018-19 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, खरीफ और रबी उत्पादन कम होने के कारण, समग्र कृषि जीडीपी संख्या को नुकसान हो सकता है। इस वर्ष के तिमाही के दौरान, यानी अक्टूबर-दिसंबर में, संबद्ध और कृषि गतिविधियों में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले साल की तीसरी तिमाही के मुकाबले कम है। बता दें कि, पिछले साल यह आंकड़ा 4.6 प्रतिशत थी।
कृषि और संबद्ध में पूरे 2018-19 की वृद्धि पिछले वर्ष 5 प्रतिशत की तुलना में 2.7 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था।
मदन सबनवीस (केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री) के मुताबिक खरीफ और रबी उत्पादन में हुए कम उत्पादन की वजह मॉनसून और पोस्ट मॉनसून की बारिश है।
उत्पादन संख्या के अनुसार, मॉनसून की बारिश सामान्य से लगभग 9% कम रही है इसके कारण भारत में इस रबी सीजन के दौरान कम रेपसीड और चने की फसल देखने की संभावना है। दूसरी ओर अगर हम सर्दियों की बारिश की बात करें, जो कि अक्टूबर और दिसंबर के बीच होती है वो रबी की फसल के लिए सामान्य से 43 प्रतिशत कम थी।
चावल के उत्पादन में पिछले साल की मुकाबले वर्ष 2018-19 में रिकॉर्ड 115.6 मिलियन टन की बढ़ोतरी हो सकती है,जो कि पिछले साल 112.91 मिलियन टन था। दूसरी तरफ मोटे अनाज का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 46.99 मिलियन टन से घटकर 42.64 मिलियन टन तक रह सकता है।
बीते वर्ष की तुलना में दाल का उत्पादन भी 25.23 मिलियन टन से घटकर 24.02 टन रह सकता है।
इन सबके बीच उम्मीद है की कुल तेल उत्पादन पिछले वर्ष के आंकड़ों की तुलना में 31.3 मिलियन टन से बढ़कर 31.5 मिलियन टन हो सकती है।
गन्ने का उत्पादन भी पिछले साल के मुताबिक 380.83 मिलियन टन से अधिक होगा। इस साल कपास 30.09 मिलियन गांठ ( प्रत्येक170 किलो ) पर कम रहा है जबकि जस्ट एंड मेस्टा 10.07 मिलियन गांठ ( प्रत्येक180 किलो) पर होने की संभावना है।
पिछले कई वर्षों के दौरान देश में कपास, फल, सब्जियां, तेल-बीज और गन्ने का भरपूर खाद्यान्न उत्पादन देखा जा रहा है, लेकिन इसके बदले किसानों को कम कीमत दी जा रही है। हालाँकि अनुमान है की मौजूदा जो कृषि उपज संख्या है उसकी वजह से इसमें कुछ बदलाव आ सकती है।
Image Credit: Livemint
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