उत्तर भारत के पहाड़ों पर मानसून के मौसम में बादल फटने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। कश्मीर घाटी, कुल्लू-मनाली घाटी और कुमाऊँ की पहाड़ियों में बादल फटने की ज्यादा और विनाशकारी होती हैं। बता दें, अगस्त महीने के दूसरे भाग में( आखिरी 15 दिन) में बादल फटने से होने वाली हानिकारक घटनाओं की संभावना अधिक होती है।
बादल फटने की घटना क्या है?:बादल फटने का अर्थ है किसी स्थान पर अचानक से अत्यधिक भारी बारिश गरज के साथ हो जाए। जैसे, भारी बारिश यानी एक घंटे में 100 मिमी से या उससे अधिक बारिश एक जगह पर हो जाए, तो इसे बादल फटना करते हैं। एक घंटे में इतनी ज्यादा बारिश होना बादल फटने का प्रारंभिक मानदंड है। जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा, प्रचंड गति से बड़ी मात्रा में पानी का बहना, विनाशकारी क्षमता रखता है। यह लगभग सर्दी के मौसम में बर्फीले इलाकों में होने वाले हिमस्खलन के समान है।
पहाड़ों में बादल फटने का कारण: अगस्त माह 'ब्रेक-इन-मॉनसून' स्थितियों के लिए अधिक संवेदनशील होता है। इस स्थिति में, मौसमी मानसूनी ट्रफ अपनी सामान्य स्थिति से बहुत दूर उत्तर की ओर खिसक कर हिमालय की तलहटी के करीब पहुंच जाती है। दरअसल, कई बार मानसून ट्रफ बिल्कुल भी दिखाई नहीं देती है और माना जाता है कि यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नेपाल, सिक्किम, उप-हिमालयी, पश्चिम बंगाल और असम घाटी की तलहटी के समानांतर चल रही है। भारी से अत्यधिक भारी वर्षा तलहटी में होती है, लेकिन ट्रफ की पूरी लंबाई के साथ नहीं होती है। इस स्थिति में उत्तर भारत के पहाड़ों पर बादल फटने की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
आगे मौसम की स्थिति: मानसून ट्रफ अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर शिफ्ट होने की संभावना है। शुरुआत में मानसून ट्रफ पंजाब और हरियाणा के मैदानी इलाकों से पीर पंजाल, धौलाधार, शिवालिक की पहाड़ी श्रृंखलाओं और आगे नेपाल में हिमालय पर्वतमाला की ओर खिसकेगी। अगले कुछ दिनों में ट्रफ रेखा तलहटी से कुछ दूरी बनाए रखेगी और भारत-गंगा के मैदानी इलाकों से होकर गुजरेगी। सप्ताह के मध्य में और बाद में, ऊपरी हवा की पश्चिमी ट्रफ रेखा पश्चिमी छोर को तलहटी के करीब उत्तर की ओर खींच लेगी। जिससे निचले और मध्य स्तर के पहाड़ों पर बारिश और गरज के साथ बौछारें बढ़ेंगी।
इस दिन बादल फटने की संभावना: 08 से 11 अगस्त के बीच बादल फटने जैसी किसी भी स्थिति के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके लिए मौसम प्रणाली पर गहन नजर रखी जानी चाहिए। वहीं, उत्तर भारत के पहाड़ों पर 10 और 11 अगस्त को गंभीर मौसम गतिविधि होने की ज्यादा संभावना है। 14 अगस्त 2024 के बाद एक और दौर के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल होने की संभावना है।
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