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पहाड़ों पर शुष्क मौसम से हिमस्खलन का खतरा, बरतें सावधानी

February 7, 2024 3:28 PM |
हिमाचल के पहाड़ों पर हिमस्खलन

पिछले कुछ दिनों से उत्तरी पहाड़ी राज्यों के पहाड़ों पर लगातार पश्चिमी विक्षोत्र बढ़ रहे हैं, जिस कारण बर्फ के ढेर लग गए हैं। यह एक अच्छी घटना है और पर्यावरण संतुलन की रक्षक भी है। इसके अलावा यह मौसमी बदलाव पर्यटकों, साहसिक गतिविधियों, फसलों और बारहमासी जल स्रोतों के लिए भी एक खुशी की बात है। लेकिन, इसमें हमेशा की तरह हिमस्खलन का खतरा बना हुआ है। पर्वत श्रृंखलाओं और ग्लेशियरों में बड़े पैमाने पर बर्फ जमने के बाद के हिमस्खलन का खतरा बना रहता है।

हिमस्खलन का मतलब पहाड़ों और ग्लेशियरों पर लगे बर्फ के ढेर ढलानों से नीचे खिसखने से है। हिमस्खलन भी भूकंप की तरह 'बिना सूचना' वाली आपदा है, मतलब दोनों के आने से पहले कोई जानकारी होती है। लेकिन हिमस्खलन और भूकंप में एक जरूरी अंतर यह है कि बहुत बड़े स्तर पर इसका पहले से अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन, हिमस्खलन बिना किसी पहले जानकारी के होता है, पहाड़ों और ग्लेशियर से भारी बर्फ लुढ़कता हुआ तेज गति से नीचे की तरफ आता है। नीचे आ रहे बर्फ के ढेर अपने रास्ते में आने वाली चट्टानों, मिट्टी, पेड़ों और किसी भी अन्य वस्तु सभी को अपने साथ खींच लेते हैं। हालांकि, दुर्गम क्षेत्रों (वे क्षेत्र जहां पहुंचना कठिन हो) में होने वाले कुछ हिमस्खलों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। लेकिन, इनका असर विनाशकारी होता है। ये कोई भी टालमटोल वाली कार्रवाई शुरू करने की स्वतंत्रता भी नहीं देता है।

पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर भारत के पहाड़ों को काफी हद तक साफ कर दिया है। अगले एक सप्ताह या इससे अधिक समय तक शुष्क मौसम रहने की संभावना है। उचित मात्रा में धूप निकलने से तापमान बढ़ेगा। हालांकि, कई हिस्सों में तापमान अभी भी शून्य से नीचे बना हुआ है। लेकिन, तापमान में कमी आने से कुछ क्षेत्रों में बर्फ पिघल सकती है। तापमान में होने वाला यह अंतर बर्फ के टीलों के आधार (बेस) को कमजोर कर देता है, इससे बर्फ के ढेर अपने वजन के साथ नीचे फिसलने वाले हो जाते हैं, जो काफी असुरक्षित होता है।

बर्फबारी के भारी दौर के बाद शुष्क दिन होने पर जोखिम भरे क्षेत्रों में या उनके करीब रहने वाले स्थानीय लोगों को सावधानी बरतना जरूरी है। वहीं, साहसी और पर्वतारोही खतरे की जानकारी नहीं होने पर हिमस्खलन जैसी विषम परिस्थितियों का शिकार होजाते हैं। वहीं कठिन इलाके में गश्त करने वाले सैन्य कर्मियों को इनमें से कुछ स्थितियों में फंसने का जोखिम उठाना पड़ता है। इसीलिए जहां हिमस्खलन होने की संभावना होती है उन क्षेत्रों का हर दिन का पूर्वानुमान लोगों को जागरूक और सचेत रहने के बताया जाता है। जिसमें लोगों को हिमस्खलन वाले क्षेत्रों में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।






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