कच्छ क्षेत्र पर बना गहरा दबाव बहुत धीमी गति से पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ गया है। यह अब भुज और नलिया के बीच लगभग 23.7°N और 69.0°E के बीच केंद्रित है। इसके चारों ओर हवाएँ 50-55 किमी प्रति घंटे की गति से चलती हैं। इस प्रणाली के ज्यादा पश्चिम की ओर आगे बढ़ने और कल 30 अगस्त को अरब सागर में प्रवेश करने की संभावना है। साथ ही ऐसी भी उम्मीद है कि यह प्रणाली कल तेज होकर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर एक हल्का चक्रवाती तूफान बन जाएगी। जिसके पाकिस्तान और ईरान के तटरेखा के साथ-साथ मकरान तट के समानांतर आगे बढ़ने की संभावना है।
सौराष्ट्र और कच्छ में भारी बारिश: गहरे दबाव के कारण सौराष्ट्र और कच्छ के कुछ हिस्सों में पिछले 24 घंटों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। कच्छ के सबसे पश्चिमी बिंदु नलिया में 301 मिमी और सौराष्ट्र के सबसे पश्चिमी तट द्वारका में 231 मिमी बारिश दर्ज की गई है। ओखा, जामनगर, राजकोट, कांडला और भुज में भी भारी बारिश दर्ज हुई। अगले 24 घंटों में भारी वर्षा का क्षेत्र अरब सागर की ओर खिसकने की संभावना है। कल 30 अगस्त को बारिश से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
चक्रवाती तूफान बनने की संभावना: गहरे दबाव के अंदरूनी हिस्से की हवाएँ अधिक तेज हो सकती हैं। बता दें, समुद्र के ऊपर 62-88 किमी प्रति घंटे की रेंज में हवाओं के साथ मौसम प्रणाली को चक्रवाती तूफान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। गहरे अवसाद की बादल संरचना एम्बेडेड संवहन के साथ फॉर्मेटिव बैंडिंग का समर्थन कर रही है। गहरे अवसाद की बादल संरचना ऐसे रूप में बन रही है जिसमें एम्बेडेड संवहन (आंतरिक हवा और गर्मी का चक्रण) शामिल है। इसका मतलब है कि बादलों के भीतर गर्म हवा ऊपर उठ रही है और ठंडी हवा नीचे जा रही है, जिससे बादल का ढांचा संगठित हो रहा है। यह प्रक्रिया "फॉर्मेटिव बैंडिंग" कहलाती है, जिसमें बादल एक बैंड या घेरे के रूप में व्यवस्थित होते हैं, जो अक्सर चक्रवाती तूफानों के निर्माण का संकेत होता है।
इन क्षेत्रों में तूफान का खतरा नहीं: समुद्र की सतह का तापमान 28-29°C पर पर्याप्त गर्म होता है। वहीं, वर्टिकल विंड शीयर मध्यम है जो चक्रवाती तूफान के लिए सिस्टम को गहरा करने में मदद करता है। हालांकि, चक्रवात(तूफान) के भारतीय तटरेखा से दूर जाने की उम्मीद है। इसलिए सौराष्ट्र और कच्छ में तूफानी स्थिति का कोई खतरा नहीं है। जैसे-जैसे तूफान पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, समुद्र की सतह का तापमान कम हो रहा है। इसलिए, घटती ताप क्षमता प्रणाली को कमजोर कर सकती है। क्योंकि यह पर्शियन गल्फ और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की ओर बढ़ेगा।
‘असना’ तूफान बनने की संभावना: यदि गहरा अवसाद तूफान में बदल जाता है, तो इसका नाम “असना(ASNA)” रखा जाएगा, जैसा कि पाकिस्तान ने प्रस्तावित किया है। बता दें, दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम में भारतीय समुद्र में सामान्य रूप से अधिक तूफान नहीं बनते हैं। असना तूफान बनने पर इसे एक अपवाद के रूप में माना जा सकता है। इस वर्ष के दौरान आखिरी तूफान मई 2024 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना था। उस तूफान का नाम ‘रेमल’ था, जिसे ओमान ने नामित किया था। गौरतलब है, चक्रवात 'रेमल' 26 मई 2024 को सुंदरबन क्षेत्र में बांग्लादेश-पश्चिम बंगाल सीमा क्षेत्र पर दस्तक दी थी।