प्री-मॉनसून की समय सीमा अपने अंतिम चरण में पहुँचने वाली है, इसके साथ ही मार्च-अप्रैल की तरह ही मई में भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है। हालांकि मई की शुरुआत गर्म और शुष्क मौसम के साथ हुई है लेकिन आगे पश्चिमी विक्षोभ, चक्रवाती हवाओं तथा हवा में दरार (WindDiscontinuity)जैसी मौसमी गतिविधियां संभावित हैं जिससे बारिश का दौर फिर से लौटने के पूरे आसार हैं। (हवा में दरार उस अवस्था को कहते हैं जब विपरीत दिशाओं से आने वाली दो अलग-अलग हवाएँ एक जगह टकराती हैं और साथ मिलकर एक ही दिशा में बहने लगती हैं।)
स्काईमेट के अनुमानों के अनुसार मौसम के मॉडल संकेत कर रहे हैं कि देश में एक बार फिर से अच्छी बारिश हो सकती है। यानि कि मार्च-अप्रैल की तरह ही मई में भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए जाने की पूरी संभावना है। आमतौर पर मई के शुरुआत से ही बादलों की गरज के साथ बारिश की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। देश में अप्रैल महीने में जहां औसतन 36.5 मिमी बारिश होती है वहीं मई के महीने में ये आंकड़ा बढ़कर लगभग दुगुना 62.3 मिमी हो जाता है।
इस वर्ष मार्च और अप्रैल में पहले ही सामान्य से काफी अधिक वर्षा हो चुकी है। स्काइमेट के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश के 36 में से 31 सब-डिवीजन में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई जबकि बाकी 5 में औसत के आंकड़ों के आसपास वर्षा दर्ज की गई। मार्च में देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर बाकी लगभग सभी भागों में सामान्य से अधिक जबकि पूर्वी क्षेत्रों में सामान्य से कम बरसात देखने को मिली। हालांकि इस कमी की भरपाई अप्रैल में हो गई, जब देशभर में अच्छी बारिश दर्ज की गई। इस दौरान जहां देश के पूर्वी राज्यों ने सामान्य वर्षा देखी वहीं पूर्वोत्तर के अधिकांश भागों में औसत से काफी अधिक वर्षा रेकॉर्ड की गई।
देश भर में बीते 2 महीनों के दौरान हुई बारिश के आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं: