उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में शीतलहर की स्थिति कुछ इलाकों तक सीमित है। लेकिन, पूर्वी और उत्तरी राजस्थान के बड़े हिस्सों में ऐसा नहीं है। यह हिस्से पिछले दो दिनों से शीतलहर की स्थिति में हैं। वहीं, पहाड़ों पर भारी बर्फबारी होने के कारण बर्फ से ढकी पहाड़ियों से ठंड़ी हवाएं मैदानी इलाकों के ढलानों पर आ रही हैं। हालांकि, पिछले दो दिनों से राजस्थान के कुछ हिस्सों में स्थानीय परिस्थतियों के कारण ठंड बरकरार है। न्यूनतम तापमान औसत से काफी नीचे गिर गया है, कुछ स्थानों पर लगभग 5 डिग्री सेल्सियस है या इससे भी अधिक नीचे है।
कब होती है शीतलहर: मैदानी इलाकों में घोषित में शीतलहर की स्थिति तब घोषित की जाती है, जब सामान्य न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है। इस समय वास्तविक तापमान सामान्य से 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस से कम है। इसके अलावा शीतलहर की स्थिति तब होती है जब इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है।
सीकर सबसे ठंडा: सीकर, चूरू और भीलवाड़ा जैसी जगहों पर रात का तापमान औसत से 5-6 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया है। इन सभी स्थानों पर पिछले 24 घंटों में सबसे कम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम दर्ज किया गया है। सीकर में आज 9 फरवरी की सुबह न्यूनतम तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो देश के मैदानी इलाकों में सबसे कम है। इससे पहले कल भी सीकर में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया था। अजमेर, टोंक, पिलानी, अलवर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और जैसलमेर जैसे कुछ अन्य स्थानों पर भी पारा स्तर सामान्य से लगभग 4-5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है।
ठंड के लिए कोई मौसम प्रणाली नहीं: अभी जल्दी में पहाड़ों पर कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने वाला है, न ही पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मैदानी इलाकों में लंबे समय तक ठंड की स्थिति बनाए रखने के लिए कोई मौसम प्रणाली नहीं है। हालाँकि, उत्तरी महाराष्ट्र और दक्षिणी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों पर एक भयंकर चक्रवाती परिसंचरण विकसित हो रहा है। जो 10 से 14 फरवरी के बीच देश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में घूमता रहेगा।
राज्य में बदलेगा हवा का पैर्टन: यह परिसंचरण इस अवधि के पहले भाग के दौरान दक्षिण और दक्षिणपूर्व राजस्थान के करीब होगा। वही, कोई खास मौसम गतिविधि राजस्थान तक नहीं पहुंचेगी। लेकिन, राज्य के अधिकांश हिस्सों में हवा का पैटर्न बदल जाएगा। जिसके असर से ठंडी हवाओं का चलना रुक जाएगा और उलट भी सकता है। इस परिसंचरण का पूर्वी और उत्तरी राजस्थान के हिस्सों पर बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा प्रभाव होगा।
न्यूनतम स्तर तक गिरेगा पारा: राजस्थान में हवा चलने के प्रवाह में बदलाव आने से सप्ताहांत में शीत लहर की स्थिति में कमी आएगी। राज्य के अधिकांश हिस्सों में पारा दोहरे अंक में दर्ज होने की संभावना है। इसमें सीकर, चूरू और भीलवाड़ा शामिल होंगे। राजस्थान की सीमा चौकियों पर भी तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। उम्मीद है कि राजस्थान में अगले सप्ताह में कई स्थानों पर पारा न्यूनतम स्तर तक बढ़ जाएगा।