पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने और पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद उत्तरी भारत के कई हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से नीचे चला गया है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मैदानी इलाकों में पारा तेजी से गिरा है, जहां कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। यह इस मौसम का अब तक का सबसे कम तापमान है। इस ठंडक के चलते कुछ इलाकों में शीतलहर की स्थिति बन गई है, जो अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है।
शीतलहर और वर्तमान स्थिति: मैदानी इलाकों में शीतलहर की स्थिति तब घोषित की जाती है जब न्यूनतम तापमान 10°C या उससे कम हो और यह लगातार दो दिनों तक सामान्य से 4.5 डिग्री कम रहे। हालांकि, छोटे क्षेत्रों में यदि यह मापदंड एक दिन के लिए भी पूरा होता है, तो शीतलहर घोषित की जा सकती है। इसके अलावा, जब न्यूनतम तापमान 4 °C या उससे कम हो, तो भी शीतलहर मानी जाती है। वर्तमान में इन दोनों मानकों का मिश्रण देखा जा रहा है, जिससे उत्तरी राज्यों के कुछ हिस्सों में शीतलहर की स्थिति बनी हुई है।
पंजाब-हरियाणा के ठंडे इलाके और न्यूनतम तापमान: गौरतलब है, मैदानी इलाकों में अमृतसर सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान केवल 2°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से लगभग 4 डिग्री कम है। इसके बाद पठानकोट का स्थान है, जहां न्यूनतम तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 4 डिग्री कम है। बठिंडा, फिरोजपुर, चंडीगढ़, हिसार, चूरू और सीकर जैसे स्थानों पर न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम दर्ज किया गया।
पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान में गिरावट: फुटहिल्स (1,200 से 2,500 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्र) में तापमान लगभग शून्य (हिमांक बिंदु) के पास पहुंच गया है। ऊना और सुरेंद्रनगर में आज सुबह न्यूनतम तापमान 0.4 डिग्री और 0.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यहां तक कि निचले पहाड़ी क्षेत्र जैसे श्रीनगर, मनाली और मुक्तेश्वर भी तापमान पहले ही शून्य से नीचे चला गया है।
आगे के दिनों में मौसम की स्थिति: वर्तमान में एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ ऊपरी वायुमंडल में उच्च पहाड़ियों पर बना हुआ है, लेकिन इसका मैदानी इलाकों पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। हां, अगले दो दिनों तक तापमान में और गिरावट रुक सकती है। हालांकि, पहाड़ियों में साफ मौसम के बाद सप्ताहांत (13 से 15 दिसंबर 2024) के बीच पारे में और गिरावट आ सकती है। इस दौरान शीतलहर की स्थिति तेज हो सकती है और इसका असर ज्यादा हो सकता है।