भारी बारिश से चेन्नई बेहाल,कुछ हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात

December 10, 2024 6:34 PM | Skymet Weather Team

बंगाल की खाड़ी (BoB) के मध्य दक्षिणी हिस्सों में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जिसे मध्य-क्षोभमंडलीय स्तरों तक फैले चक्रवाती परिसंचरण का साथ मिल रहा है। यह प्रणाली और अधिक मजबूत होकर पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा में बढ़ते हुए कल तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने की संभावना है। श्रीलंका, मन्नार की खाड़ी और तमिलनाडु के पूरे तटवर्ती क्षेत्र 11 और 12 दिसंबर के बीच भारी बारिश की चपेट में आ सकते हैं। इन तारीखों से पहले और बाद में भी बारिश होगी, लेकिन कम तीव्रता के साथ।

सैटेलाइट इमेज, हिमावारी

इन क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना: इस निम्न दबाव क्षेत्र के साथ तमिलनाडु के तटीय हिस्सों के पास उत्तर-दक्षिण ट्रफ बनने की संभावना है। तटीय शहर जैसे टोंडी, पंबन, तूतिकोरिन, कुड्डालोर, कराईकल, और पुडुचेरी में मध्य सप्ताह के दौरान भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। चेन्नई इस मौसम गतिविधि के उत्तरी किनारे पर स्थित है। चेन्नई के दोनों मौसम केंद्र, मीनंबक्कम और नुंगंबक्कम खराब मौसम की चपेट में होंगे। साथ ही आसपास के उपनगर जैसे तांबरम, कांचीपुरम, तिरुवल्लूर, चेंगलपट्टू और पल्लवरम में भी 11 दिसंबर को भारी और लगातार बारिश हो सकती है।

चेन्नई और आसपास के इलाकों में बारिश का असर: चेन्नई में बारिश के बादल पहले ही पहुंच चुके हैं, जिससे आज हल्की बारिश की संभावना है। बारिश कल 11 दिसंबर की दोपहर से तेज होगी, शाम और रात में ज्यादा प्रबल हो जाएगी। भारी बारिश का यह दौर अगले दिन यानी 12 दिसंबर को भी जारी रहेगा, हालांकि बीच-बीच में थोड़े अंतराल हो सकते हैं। इस दौरान बारिश इतनी अधिक होगी कि सड़कों और गलियों में जलभराव हो सकता है, जिससे कुछ स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बन सकती है। खराब मौसम सड़क, रेल और हवाई यातायात को बाधित कर सकता है। उड़ानों को पुनर्निर्धारित किया जा सकता है वहीं, रनवे, टैक्सीवे और एप्रन पर जलभराव के कारण हवाई संचालन प्रभावित हो सकता है।

मासिक बारिश की भरपाई और जल निकाय प्रबंधन: नवंबर महीने में चेन्नई की मासिक बारिश का आंकड़ा पूरा नहीं हो सका था। हालांकि, दिसंबर में अब तक मीनंबक्कम और नुंगंबक्कम में 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। बारिश का यह दौर नवंबर में रही कमी की भरपाई कर देगा, जिससे मासिक औसत 182.4 मिमी को पार कर जाएगा। जल निकाय, बांध, जलाशय और नदियों का उचित प्रबंधन करना आवश्यक है ताकि किसी भी संकट से बचा जा सके।

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